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कोर्ट गये इसलिए क्लास नहीं ले सकते, 14 असिस्टेंट प्रोफेसरों को ना माया मिली ना राम

कोर्ट गये इसलिए क्लास नहीं ले सकते, 14 असिस्टेंट प्रोफेसरों को ना माया मिली ना राम

 झारखंड/रांची. (NIL) में जानवरों के इलाज के लिए एकमात्र उम्मीद रांची वेटनरी कॉलेज की व्यवस्था पिछले कुछ सालों से सवालों में है. अनुबंधित शिक्षकों के भरोसे चल रहे इस कॉलेज में जैसे ही स्थायीकरण की मांग को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया, शिक्षकों को पढ़ाने से रोक दिया गया. नतीजा वेटनरी की पूरी पढ़ाई ही चरमरा गई.

रांची के बिरसा कृषि विवि का क्षेत्रफल जितना बड़ा है, यहां के वीसी का फरमान भी उतना ही दूर तक माना जाता है. मामला बिरसा कृषि विवि के रांची वेटनरी कॉलेज का है, जहां 17 सालों से संविदा पर पढ़ा रहे करीब 27 असिस्टेंट प्रोफेसर ने स्थायीकरण की मांग को लेकर आवाज उठाई. इनमें 14 शिक्षकों ने स्थायीकरण की मांग को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद वीसी के आदेश से इन सभी शिक्षकों को क्लास लेने से रोक दिया गया और साफ कहा गया कि कोर्ट से केस वापस लेने पर ही कॉलेज में पढ़ाने की अनुमति दी जाएगी. जिसके बाद संविदा पर बहाल शिक्षक पिछले दो महीने से कॉलेज से दूर हैं.

वीसी के फरमान का खौफ इतना ज्यादा है कि कैमरे के सामने या पीछे भी कोई भी शिक्षक बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता. लेकिन इन सबका खामियाजा वेटनरी कॉलेज के थर्ड ईयर के छात्र भुगत रहे हैं. कॉलेज के परजीवी, गाइनोकोलोजी, एलपीटी और माइक्रोबायोलोजी में पढ़ाई बिलकुल ठप है. छात्रों का प्रैक्टिकल भी नहीं हो पा रहा है.

नाम नहीं बताने की शर्त पर एक असिस्टेंट प्रोफेसर ने बताया कि हालात सही नहीं है. दो महीने से उन्हें वेतन नहीं मिला है. साथ ही वीसी की ओर से साफ निर्देश दिया गया है कि जब तक कोर्ट से केस वापस नहीं लिया जाएगा पढ़ाने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वीसी ओंकारनाथ सिंह के इस आदेश के बाद शिक्षकों का रांची वेटरनरी कॉलेज जाने पर प्रतिबंध लग गया है. कॉलेज में पढ़ाने वाले शिक्षक अब कानूनी जानकारों से सलाह लेने में जुट गए हैं. ऐसे में वेटरनरी कॉलेज में पढ़ाई बाधित हो रही है। खासकर थर्ड ईयर के छात्र बेहद परेशान हैं क्योंकि कई फैकल्टी पूरी तरह ठप हो चुकी है.

रांची वेटनरी कॉलेज में संविदा पर बहाल कुल 27 असिस्टेंट प्रोफेसर में 14 जहां स्थायीकरण के लिए कोर्ट पहुंचे, वहीं 13 शिक्षकों ने राज्यपाल से गुहार लगाई. राज्यपाल के यहां पहुंचने वाले सभी असिस्टेंट प्रोफेसर्स को कॉलेज में पढ़ाने की अनुमति दी जा रही है, लेकिन कोर्ट से इंसाफ मांगने वालों के सामने केस वापस लेने की शर्त रख दी गयी.

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