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सरकार ने किया गिरिडीह को सुखाड़ जिला घोषित किसान हुवे खुश ।

सरकार ने किया गिरिडीह को सुखाड़ जिला घोषित किसान हुवे खुश ।

बारिश कम होने की वजह से खेती ना होने के कारण किसान हुए मायूस सरकार ने किया गिरिडीह को सुखाड़ जिला घोषित ।


गिरिडीह: जिले में इस वर्ष कम वर्षा होने के कारण धान फसल की रोपाई नहीं हो पा रही है। किसानों के चेहरे पर इसको लेकर साफ मायूसी देखने को मिल रही है। कम मानसून के कारण जिले के लगभग सभी प्रखंडों का हाल एक जैसा बना हुआ है। जिन किसानों के पास मोटर पंप आदि का सुविधा है वैसे किसान नदी पोखर और कुआं से मोटर के सहारे पानी को खेतों तक ला रहे हैं और किसी तरह आगे बारिश होने की आशा के साथ रोपाई कर रहे हैं। इस बाबत किसानों ने बताया कि पेट्रोल डीजल के अधिक दाम होने के बावजूद जिन खेतों में तालाब पोखर से पानी आने की संभावना है, वैसे खेतों में पानी लाकर किसी तरह से रोपने का काम कर रहें हैं। यदि बारिश नहीं होती है तो रोपा हुआ खेत सुख जायेगा और धान मर जाएगा। किसानों का कहना है कि पर्याप्त मात्रा में बारिश नहीं होने के कारण बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बारिश के अभाव में शत प्रतिशत खेती नहीं हो पा रहा है।

एक रिकॉर्ड के अनुसार इस वर्ष 80% कम वर्षा हुई है। आंकड़ों के अनुसार जिले भर में 88 हजार हेक्टेयर भूमि में धान की फसल उगाई जाती है। लेकिन वर्षा नहीं होने के कारण 40% धान के बिछड़े ही मर गए। किसी तरह जहां पटवन की सुविधा उपलब्ध हो पा रही है वैसे खेतों में पानी लाकर धान की फसल लगाई जा रही है। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से किसानों को राहत देने के उद्देश्य से गिरिडीह जिले को भी सुखाड़ घोषित कर दिया गया है। वहीं राज्य सरकार की ओर से किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करने को लेकर झारखंड राज्य फसल राहत योजना के तहत 50% से अधिक फसल क्षति होने पर 4 हज़ार रुपए प्रति एकड़ की दर से 5 एकड़ तक अधिकतम बीस हजार राशि किसानों को डीबीटी के माध्यम से उनके खाता में दी जाएगी।

इसके लिए ऑनलाइन पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। गिरिडीह के एक लाख 36 हज़ार किसानों का निशुल्क रजिस्ट्रेशन का लक्ष्य रखा गया है। जिसको लेकर जिला सहकारिता पदाधिकारी मनोज कुमार की ओर से लगातार तेजी से अभियान चलाने का निर्देश दिया जा चुका है। जिला कृषि पदाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने बताया कि आकस्मिक फसल योजना तैयार की जा रही है। जिससे किसानों को लाभ मिलेगा। वर्तमान समय के हाल के अनुसार कम दिनों के किस्मवाले धान की बुआई करना उचित हैं। ऊपरी जमीन में दलहन, तेलहन व मक्का की अधिक बुआई करने का सुझाव किसानों को दिया जा रहा है।

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