शादी-विवाह में रोड़ा बना कोरोना , कोरोना के कारण टलने लगी शादियां, अप्रैल को छोड़कर अन्य मुहूर्त ढूंढ रहे लोग ,14 को खत्म होगा खरमास, फिर गूंजेगी शहनाई
पटना संवददाता : अनूप नारायण सिंह
बिहार : कोरोना को लेकर 14 अप्रैल तक लॉक डाउन की घोषणा की गई है I अप्रैल में जिनके घर में
शादी-विवाह की तारीख तय कर दी गई है, उनके लिए परेशानियां बढ़ गई है I वर-वधु दोनों पक्ष लॉक डाउन के कारण चिंतित है I उनकी तैयारियां पूरी नहीं हो पा रही है ऐसे में कई ऐसे परिवार हैं जो शादी की तारीख को आगे बढ़ा रहे हैं I कुछ लोग तो अभी खरमास यानी 14 अप्रैल तक का इंतजार कर रहे हैं I
शास्त्रों में शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना बड़ा महत्वपूर्ण होता है। वैवाहिक बंधन को सबसे पवित्र रिश्ता माना गया है। इसलिए इसमें शुभ मुहूर्त का होना जरूरी है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शादी के शुभ योग के लिए बृहस्पति, शुक्र और सूर्य का शुभ होना जरूरी है। रवि -गुरु का संयोग सिद्धिदायक और शुभफलदायी होते हैं । इन तिथियों पर शादी-विवाह को बेहद शुभ माना गया है।
14 से शुरू होंगे शुभ वैवाहिक मुहूर्त
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि सूर्य के मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करने के साथ ही महीने भर से चला आ रहा खरमास 13 अप्रैल दिन सोमवार को रात्रि 10 बजकर 07 मिनट के बाद समाप्त हो जाएगा । खरमास के समापन के साथ ही मांगलिक कार्य का सिलसिला 14 अप्रैल से आरंभ हो जाएगा । पंडित झा के मुताबिक पिछले वर्ष के मुकाबले इस साल मलमास होने के कारण वैवाहिक शुभ मुहूर्त की संख्या कम होगी I उन्होंने बनारसी पंचांग के हवाले से कहा कि 15 अप्रैल से लेकर 13 दिसंबर तक कुल 40 वैवाहिक शुभ लग्न है। खरमास के समाप्त होते ही हिंदुओं के सभी शुभ कार्य, जैसे शादी-विवाह, उपनयन, मुंडन और गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य भी शुरू हो जाएंगे।
ऐसे तय होते है शुभ लग्न-मुहूर्त
पटना के प्रमुख ज्योतिष विद्वान पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि शादी के शुभ लग्न व मुहूर्त निर्णय के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु एवं मीन लग्न में से किन्ही एक का होना जरूरी है।वहीं नक्षत्रों में से अश्विनी, रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, चित्रा, स्वाति,श्रवणा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भद्र व उत्तरा आषाढ़ में किन्ही एक जा रहना जरूरी है ।अति उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा या हस्त नक्षत्र में से किन्ही एक की उपस्थिति रहने पर शुभ मुहूर्त बनता है। उन्होंने ने बताया कि यदि वर और कन्या दोनों का जन्म ज्येष्ठ मास में हुआ हो तो उनका विवाह ज्येष्ठ में नहीं होगा I तीन ज्येष्ठ होने पर विषम योग बनता है और ये वैवाहिक लग्न में निषेद्ध है। विवाह माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ एवं अगहन मास में हो तो अत्यंत शुभ होता है।
सूर्य के मीन राशि में प्रवेश से लगा था खरमास
पंडित झा ने पंचागों के हवाले से बताया कि पिछले 14 मार्च दिन शनिवार को सूर्य मीन राशि में प्रवेश किया था । सूर्य के मीन राशि में प्रवेश से खरमास यानी अशुद्ध मास का आरंभ हुआ था । मिथिला पंचांग में भद्रामुख के हिसाब से समय निर्धारित की जाती है जबकि बनारसी पंचांगों में भद्रा पूछ के अनुसार। सूर्य ही संक्रांति और लग्न के राजा माने जाते हैं। इनकी राशि का परिवर्तन ही खरमास का द्दोतक है।
शादी-विवाह के शुभ लग्न मुहूर्त:- (मिथिला पंचाग के मुताबिक)
अप्रैल: 15, 16, 17, 20, 23, 26
मई: 3, 4, 6, 7, 10, 17, 18, 20, 22
जून: 7, 10, 11, 17
बनारसी पंचाग के अनुसार
अप्रैल: 15, 20, 21, 25, 26, 27
मई: 1, 2, 4, 5, 6, 7, 8, 10, 12, 17, 18, 19, 23, 24
जून: 14, 15, 19, 20, 25, 27, 28, 30
नवंबर: 25, 30
दिसंबर: 1, 2, 6, 7, 8, 9, 11, 13