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राष्ट्रीय किसान दिवस पर आईसेक्ट विश्वविद्यालय में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन

किसानों को आधुनिक खेती पर ध्यान देना जरूरी : डॉ सोमनाथ राय

राष्ट्रीय किसान दिवस पर आईसेक्ट विश्वविद्यालय में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन

प्राकृतिक खेती वर्तमान समय की मांग : डॉ रंजन कुमार सिंह

किसानों को आधुनिक खेती पर ध्यान देना जरूरी : डॉ सोमनाथ राय

हजारीबाग: आईसेक्ट विश्वविद्यालय, हजारीबाग के तरबा-खरबा स्थित मुख्य कैंपस सभागार में शुक्रवार को राष्ट्रीय किसान दिवस के मौके पर स्मार्ट फार्मिंग भारतीय कृषि का भविष्य थीम को लेकर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीके नायक, कुलसचिव डॉ मुनीष गोविंद, मुख्य वक्ता कृषि विज्ञान केंद्र नवादा के सीनियर साइंटिस्ट रंजन कुमार सिंह, सेंट्रल रेनफेड अपलैंड रिसर्च स्टेशन, हजारीबाग के सीनियर साइंटिस्ट सोमनाथ राय, सिनियर साइंटिस्ट विभाष चंद्र वर्मा, विश्वविद्यालय के कृषि विभाग डीन व सेमिनार समन्वयक डॉ अरविंद कुमार के हाथों संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर सेमिनार की शुरुआत की गई। डॉ अरविंद कुमार के अतिथि परिचय के बाद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीके नायक ने राष्ट्रीय किसान दिवस की अहमियत पर महत्वपूर्ण बातें बतायी। वहीं मुख्य वक्ता कृषि विज्ञान केंद्र नवादा के सीनियर साइंटिस्ट डॉ रंजन कुमार सिंह प्राकृतिक खेती पर जोर देते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती वर्तमान समय की मांग है। इसमें प्रकृति में उपलब्ध जीवाणु मित्र, कीट और जैविक कीटनाशक द्वारा फसल को हानिकारक जीवाणुओं से बचाया जाता है, जो मिट्टी की उर्वरता के लिए जरूरी है। सेंट्रल रेनफेल्ड अपलैंड राइस रिसर्च स्टेशन, हजारीबाग के सीनियर साइंटिस्ट डॉ सोमनाथ राय ने मौजूद लोगों को धान की गुणवत्ता से अवगत कराया और बताया कि दरअसल धान की पैदावार और गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाने वाले कुछ कीड़े होते हैं, जिसकी जानकारी किसानों को होना जरूरी है। उन जानकारियों के आधार पर धान की गुणवत्ता बरकरार रखी जा सकती है।

डॉ विभाष चंद्र वर्मा ने भी राष्ट्रीय किसान दिवस के मौके पर मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के कई अहम उपाय बताए। वहीं विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ मुनीष गोविंद ने सेमिनार जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम को अहम बताते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम से ना सिर्फ जागरूकता बढ़ती है, बल्कि किसानों को लाभ भी मिलता है‌। उन्होंने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और ऐसे में कृषि आधारित कार्यक्रम की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है। मौके पर इजराइल से कृषि तकनीक की जानकारी लेकर वापस आए स्थानीय निवासी रामप्रसाद, सहयोगी प्रवीण कुमार शर्मा, विश्वविद्यालय के कृषि विभाग के विभागाध्यक्ष प्रभात किरण, डॉ सत्य प्रकाश विश्वकर्मा, प्रिया कुमारी समेत विश्वविद्यालय के कई प्राध्यापक-प्राध्यापिकाओं, विद्यार्थियों व बड़ी संख्या में स्थानीय गांवों के किसान मौजूद थे।

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