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खालसा पंथ का 325 वां स्थापना दिवस मनाया गया

बैशाखी को लेकर गुरूद्वारा में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ , हुआ शब्द कीर्तन और लंगर का आयोजन

खालसा पंथ का 325 वां स्थापना दिवस मनाया गया

बैशाखी को लेकर गुरूद्वारा में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ , हुआ शब्द कीर्तन और लंगर का आयोजन

गिरिडीह, मनोज कुमार।

गिरिडीह:  बैशाखी पर्व को लेकर स्टेशन रोड स्थित गुरूद्वारा गुरूसिंह सभा में शुक्रवार को भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान गुरूद्वारा को आकर्षक रूप से सजाया गया था। मौके पर गुरूग्रंथ साहेब को अच्छे ढंग से सजाया गया । इस दौरान देहरादून से भाई हरप्रीत सिंह और उनकी टीम के द्वारा कई शबद कीर्तन प्रस्तुत किया गया। जिसे सुनकर सात संगत निहाल हो गई। खालसा पंथ के 325 वें स्थापना दिवस को लेकर गुरूद्वारा गुरू सिंह सभा में 12 अप्रैल से अखंड पाठ का आयोजन किया गया था। जिसका समापन आज हुआ। इस संबंध में जानकारी देते हुए गुरूद्वारा गुरूसिंह सभा के प्रधान डॉ गुणवंत सिंह मोंगिया ने बताया कि आज के दिन ही 13 अप्रैल 1699 ई0 में आनन्दपुर साहेब में खालसा पंथ की स्थापना दसमेश गुरू गुरू गोबिंद सिंह जी महाराज ने की थी। आज के दिन उन्होंने लोगों के बीच अमृत का संचार किया था। कहा कि इस दिन को हमलोग बहुत ही उत्साह के साथ मनाते हैं। कहा कि पंजाब में इसे काफी ही धूमधाम से मनाया जाता है। आज के दिन ही हमारा नया वर्ष शुरू होता है। इस दौरान गुरूद्वारे में भव्य लंगर का आयोजन किया गया, जिसमें सिख समाज के अलावे अन्य समुदाय के लोगों ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान गुरुद्वारे में पहुंचे गिरिडीह के निवर्तमान विधायक निर्भय कुमार शाहाबादी,भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सुरेश साव भाजपा जिला महामंत्री संदीप दंगायच, सुभाष सिन्हा, सांसद प्रतिनिधि दिनेश यादव, भाजपा नेता हरमिंदर सिंह बग्गा आदि को सिरोपा देकर सम्मानित किया गया। लंगर की सेवा समाज सेवी रतन गुप्ता के द्वारा की गई थी।

मौके पर गुरूद्वारा गुरूसिंह सभा के सचिव नरेंद्र सिंह सलूजा उर्फ सम्मी, चरणजीत सिंह सलूजा, अमरजीत सिंह सलूजा, कुवंरजीत सिंह सलूजा, मंजीत सिंह, गुरविंदर सिंह सलूजा, गुरदीप सिंह बग्गा, परमजीत सिंह कालू, ऋषि सिंह, राजेंद्र सिंह बग्गा के अलावा भाजपा नेता चुन्नू कांत, विनय सिंह, संजय सिंह, प्रोफेसर विनीता कुमारी, समरदीप, ज्योति शर्मा, राजेश जायसवाल , दीपक स्वर्णकार, वीरेंद्र वर्मा समेत काफी संख्या में समाज के महिला-पुरूष व बच्चे मौजूद थे।

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