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शीत लहर के प्रकोप को देखते हुए जिला प्रशासन ने एडवाईजरी जारी की।

 शीत लहर से बचाव के उपायों को अमल में लायें और ठंड से बचें: उपायुक्त।

शीत लहर के प्रकोप को देखते हुए जिला प्रशासन ने एडवाईजरी जारी की।

 शीत लहर से बचाव के उपायों को अमल में लायें और ठंड से बचें: उपायुक्त।

झारखण्ड : उपायुक्त आदित्य कुमार आनन्द ने कहा है कि झारखण्ड राज्य के विभिन्न हिस्सों में तापमान में लगातार गिरावट हो रही है जिससे हजारीबाग जिला में भी शीतलहर/ठण्ड/कुहासा के प्रकोप की संभावना बन रही है। उन्होंने शीतलहर से बचाव के उपायों को अमल कर इसके प्रकोप से बचने की सलाह दी है। सहायता के लिये
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकार, हजारीबाग द्वारा जनहित में ठंड से बचाव के तरीके सुझाये गये हैं जिनमें अत्यधिक ठंड से बचने के लिए आवश्यक गर्म कपड़ों जैसे-स्वेटर, मफलर, टोपी, दस्ताने का इस्तेमाल, घर के अन्दर सुरक्षित रहे तथा स्थानीय रेडियो/समाचार पत्रों से मौसम की जानकारी लेते रहें। बच्चों व बूढ़ों के सिर पर टोपी और पैरों में गर्म मोजे अवश्य पहनावे। साथ ही शीतदंश के लक्षणों को पहचाने – जैसे हाथों व पैरों की उगलियों, कानों, नाक आदि पर सफेद या पीला दाग उभर आना। शीतदंश की स्थिति में शीघ्र अपने निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र जाकर ईलाज करायें। कई स्तरों वाले गर्म कपड़े आपको शीतदंश और हाइपोथर्मिया से बचा सकते है। रिक्शावाले, फूटपाथ पर रहने वाले, जिला प्रशासन द्वारा स्थापित रैन-बसेरा/सरकारी बस स्टैण्ड इत्यादि में ही रात बितायें। विशेषकर ऐसे जगहों पर जहां प्रशासन द्वारा अलाव की व्यवस्था सुनिश्चित किया गया हो। शीतलहर से बचाव की व्यवस्थाओं रेन बसेरा/ शरण स्थल में अलाव के जलाने इत्यादि की निगरानी एवं औचक निरीक्षण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया| पुलिस द्वारा संचालित पीसीआर वैन, हाईवे पेट्रोल एवं अन्य सार्वजनिक स्थलों पर निस्सहाय एवं वृद्ध व्यक्तियों के ठंड से बचाव हेतु विशेष निगरानी रखने का निर्देश दिया| शीतलहर से प्रभावित जनता विशेषकर आवासहीन, गरीब,रिक्शाचालक,विकलांग/ दिव्यांग,वृद्ध निस्सहाय लोगों को चिन्हित कर आवश्यकतानुसार कंबल का वितरण करने का निर्देश दिया|

साथ ही उन्होंने मवेशियों को रात में खुले आकाश/पेड़ के नीचे नहीं रखें। मवेशियों को छत के नीचे रखकर बोरा/पुराना कंबल से ढकें। रात मे आग जलाए एवं उनके बैठने की जगह पर पुआल/रबर मैट का इस्तेमाल करें। ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक ठण्ड/पाला से फसल को बचाने के लिए आवश्यक उपाय जैसे सिंचाई/बाड़ लगाना, फसल को ढकना, कृषि विभाग एवं प्रशासन से समन्वय किया जाये। घने कुहासे अथवा बारिश में गाड़ी न चलायें। अतिआवश्यक होने पर फाॅग लाईट जलाकर, धीमी गति से सावधानीपूर्वक गाड़ी चलायें। कोयले की अंगीठी/मिट्टी तेल का चूल्हा आदि का प्रयोग करते समय सावधान रहे व कमरे को हवादार रखे, ताकि जहरीले धुॅए से नुकसान न हो। अंगीठी / चुल्हा जलाकर कदापि न सोयें। ठंड से बचने के लिये लोग विद्युत उपकरणों यथा-गिजर, हिटर आदि का प्रयोग करते हैं, जिससे शाॅट-सर्किट द्वारा अग्निकाण्ड की संभावना रहती है। अतः उपकरणों के उपयोग के पहले घर का वायरिंग तंत्र को दुरूस्त करवा लें। साथ ही उपकरणों की गुणवता एवं क्रियाशिलता को अच्छी तरह से परख लें।
ध्यान रहे कि हीटर / अलाव आदि के तीन फीट की घेरा में किसी भी प्रकार का पर्दा, फर्नीचर, छत, पालतू जानवर आदि न हो। शरीर को सूखा रखें, गीले कपड़े तुरंत बदलें, ये आपके शरीर को नुकसान पहुचा सकते हैं। विषम परिस्थियों अथवा अत्यधिक सर्दियों के लिए ईधन बचाकर रखें। यथासंभव विशेषकर रात्रि में बाहर जाना कम करें। जलावन की लकड़ियाॅ और पर्याप्त गर्म कपड़ों के साथ ”आपातकालीन मेडिकल किट“ तैयार रखें। सरकार द्वारा वितरित किए जा रहें कंबल एवं गर्म कपड़ों की मदद ले। किसी भी प्रकार की आपदा होने पर अपने प्रखण्ड/अंचल, अनुमंडल एवं जिला प्रशासन से संपर्क करें।
इस क्रम में उपायुक्त ने शीत लहर व ठंड को देखते स्थिति से निपटने के बाबत सिविल सर्जन को स्वास्थ्य संबंधी, नगर आयुक्त व बीडीओ/सीओ को अलाव/ कंबल की व्यवस्था करने तथा अलर्ट मोड पर रहने से संबंधित आवश्यक निर्देश दिये हैं।

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