गायत्री परिवार के द्वारा शास्त्री नगर दुर्गा मंडप में दीप यज्ञ का किया गया आयोजन काफी संख्या में जुटे श्रद्धालु
गायत्री परिवार के द्वारा शास्त्री नगर दुर्गा मंडप में दीप यज्ञ का किया गया आयोजन काफी संख्या में जुटे श्रद्धालु
गायत्री परिवार के द्वारा शास्त्री नगर दुर्गा मंडप में दीप यज्ञ का किया गया आयोजन काफी संख्या में जुटे श्रद्धालु
गिरिडीह, मनोज कुमार।
गिरिडीह: शहर के शास्त्री नगर दुर्गा मंडप में गायत्री परिवार की ओर से शुक्रवार संध्या को दीप यज्ञ का भव्य आयोजन किया गया। जिसमें मोहल्ले के भक्तों के साथ गायत्री परिवार गिरिडीह के सदस्य उत्साह के साथ शामिल हुए। शास्त्री नगर निवासी अशोक कुमार की अगुवाई में हुए इस दीप यज्ञ अनुष्ठान में गायत्री मंत्र पाठ, भजन के साथ-साथ भक्तों, विशेषकर महिलाओं ने दीप प्रज्वलित कर मां गायत्री की आराधना की। गिरिडीह गायत्री परिवार के अरुण कुमार, उर्मिला बरनवाल और पूनम गुप्ता ने पूरे विधि विधान से दीप यज्ञ का अनुष्ठान संपन्न कराया। मोहल्ले के विश्वनाथ मंडल को पूजा में बैठने का पुण्य प्राप्त हुआ। महिलाओं द्वारा प्रज्वलित सैकड़ों दीपों से पूरा मंडप जगमग हो उठा। दुर्गा मंडप के पुजारी गोपाल पांडेय द्वारा सामूहिक आरती के बाद सभी भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण भी किया गया। गायत्री परिवार के भुवनेश्वर शास्त्री ने सुंदर प्रवचन दिया। इस अवसर पर गायत्री परिवार के दयानंद प्रसाद, प्रदीप बरनवाल, कृष्णा मंडल, हेमचंद्र महतो, मीना देवी, अर्चना देवी, इंदु देवी, सीता देवी, आराधना के साथ मोहल्ले की रेखा प्रसाद, सावित्री देवी, प्रतिमा देवी ललिता देवी और अन्य भक्त महिलाओं और लड़कियों ने उत्साह के साथ दीप यज्ञ में शामिल होकर मां गायत्री की आराधना की। इस अवसर पर मोहल्ले के शिव शंकर प्रसाद, नटवर सराक, सुनील भूषण, बबलू सिन्हा, संजय कुमार, कैलाश राम, सत्यनारायण प्रसाद, पपीन्द्र कुमार, मुकेश यादव, रितेश सराक, रंजय बरदियार, राजीव सिन्हा, दीपक बरनवाल, राजेश सिन्हा, मनीष मंडल, राजेंद्र कुमार, संजय करुणेश, मणिकांत मुकेश, जितेंद्र गुप्ता और अन्य सदस्य और भक्त भी उत्साह से शामिल हुए l
इस कार्यक्रम के नेतृत्वकर्ता अशोक कुमार और उनके धर्मपत्नी ने शास्त्री नगर निवासी विश्वनाथ मंडल और प्रभात मंडल को सपत्नीक सम्मानित किया। अशोक कुमार ने बताया कि कोरोना काल के कठिन समय में विश्वनाथ मंडल और प्रभात मंडल के परिवार ने महीने भर तक निस्वार्थ भाव से सेवा सुश्रुषा कर उन्हें नया जीवन दान दिया। ऐसे संवेदनशील और मानवीय परिवार को सम्मानित कर खुद को ही सम्मान देने जैसा है।