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श्री कबीर ज्ञान मंदिर में आयोजित मां ज्ञान महायज्ञ का द्वितीय दिवस

मां ज्ञान द्वारा रचित नवीनतम पुस्तक "हमारे श्रीराम" का हुआ विमोचन,यज्ञ हवन का किया गया आयोजन

श्री कबीर ज्ञान मंदिर में आयोजित मां ज्ञान महायज्ञ का द्वितीय दिवस

 मां ज्ञान द्वारा रचित नवीनतम पुस्तक “हमारे श्रीराम” का हुआ विमोचन,यज्ञ हवन का किया गया आयोजन

गिरीडीह, मनोज कुमार।

झारखंड: गिरिडीह नगरी में अवस्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री कबीर ज्ञान मंदिर के पावन प्रांगण में आयोजित *मां ज्ञान महायज्ञ* के द्वितीय दिवस का आरंभ सदगुरु कबीर रचित बीजक ग्रंथ के मंत्रोचार सहित यज्ञ हवन से हुआ। जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। यज्ञ की पवित्र सुगंध से वातावरण पवित्र हो गया। यज्ञ के मंत्रोच्चार से उपस्थित श्रद्धालु जन मंत्रमुग्ध होकर भाव विभोर हो गए।

सतगुरु मां ज्ञान ने दिया दिव्य संदेश

इस अवसर पर सद्गुरु मां सतगुरु मां ज्ञान ने उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए अपने उद्बोधन में कहा

हम सब आज सत्संग की गंगा में डुबकी लगा रहे हैं, यह हम सबको हम सबों का परम सौभाग्य है। श्री कबीर ज्ञान मंदिर में अवस्थित गुरु गोविंद धाम में भगवान विष्णु और सदगुरु कबीर का विग्रह स्थापित है। सदगुरु कबीर सनातन के पुरोधा है, वही भगवान नारायण पुरातन के। गुरु गोविंद धाम मंदिर से हम यह संदेश पाते हैं कि हमारा समाज सनातन और पुरातन का संगम है। हम सभी ऋषियों के संतान हैं। जाति की विविधता मनुष्य के द्वारा बनाई गई है, और यह कर्म के आधार पर है। विभिन्न जातियों में भी गोत्र एक पाया जाता है, जिससे यह सिद्ध होता है कि हमारे पूर्वज एक है और हम सब एक ही पूर्वज के वंशज हैं। जातियों के बंधनों को तोड़कर एक सूत्र में बंधना चाहिए और सशक्त समाज की स्थापना करने में अपना योगदान देना चाहिए, जिससे हम सशक्त हो तथा हमारा राष्ट्र सशक्त हो।

मां ज्ञान ने आगे कहा पूर्व काल में कोई वर्ण जन्मजात नहीं था अपने गुण कर्म में परिवर्तन लाकर एक वर्ण से दूसरे वर्ण में परिवर्तित हो जाना सहज था अतः ऊंच-नीच की कट्टरता या जातिगत भेद होने का प्रश्न ही नहीं उठता है। गोत्र के दर्पण से जब हम देखते हैं तो जाति वर्ण व्यवस्था बिल्कुल आधारहीन प्रतीत होता है। अतः जाति के नाम पर बंटना हिंदू समाज का दुर्भाग्य है इससे हम जितना जल्दी उतर जाते हैं ऊपर उठ जाते हैं वही हमारी सार्थकता है।

हमारे श्रीराम पुस्तक का हुआ विमोचन

इस अवसर पर सद्गुरु मां ज्ञान की नवीनतम कृति “हमारे श्री राम” पुस्तक का विमोचन झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी एवं भाजपा प्रदेश सचिव रविंद्र राय के कर कमलों द्वारा संपन्न हुआ। पुस्तक विमोचन के साक्षी के रूप में उपस्थित विशिष्ट अतिथियों में भाजपा जिला अध्यक्ष महादेव दुबे, भूतपूर्व झारखंड सरकार के मंत्री चंद्रमोहन प्रसाद, पूर्व विधायक लक्ष्मण स्वर्णकार, नुनुलाल मरांडी, सुरेश साव, दिलीप बर्मा, समाजसेवी दिनेश यादव समाजसेवी अर्जुन बैठा, नवीन सिन्हा, सदानंद राम तथा अन्य गणमान्य जन उपस्थित रहे। सभी ने सतगुरु मां ज्ञान की नवीनतम कृति *हमारे श्रीराम पुस्तक* का तहे दिल से प्रशंसा किया। सनातन धर्म के पुरोधा सदगुरु कबीर की वाणी के साथ-साथ पुरातन के पुरोधा हमारे श्री राम के दर्शन को जन जन तक पहुंचाने का कार्य जो सतगुरु मां के द्वारा पुस्तक के माध्यम से किया गया है, सबों ने इसकी भूरी भूरी प्रशंसा की।

किसने क्या कहा 

इस अवसर पर श्री रविंद्र राय ने कहा कि मैं रामायण का पठन-पाठन करता हूं। जिसका सामान्य अर्थ को तो समझा जा सकता है लेकिन गहरे अर्थ को समझना कठिन है। हमारे श्रीराम नामक पुस्तक में सद्गुरु मां ने बहुत ही सरल शब्दों में इसकी विवेचना की है। जिससे जनसामान्य को काफी लाभ मिलेगा उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि मैं श्री कबीर ज्ञान मंदिर से बहुत पुराना रिश्ता है यहां के द्वारा किए जाने वाले कार्य में जन जन का कल्याण निहीत है। मैं इसकी भूरी भूरी प्रशंसा करता हूं।

झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री *श्री चंद्रमोहन प्रसाद जी* ने कहा कि मैं श्री कबीर ज्ञान मंदिर क्रियाकलापों का साक्षी हूं। अपने कार्यकाल में *संत कबीर ज्ञान मार्ग* के नामकरण का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ था, मैं इसे अपना गौरव समझता हूं। मां ज्ञान तथा इनके कर्तव्यनिष्ठ सेवा धारियों की भूरी भूरी प्रशंसा करता हूं जिन्होंने इतनी सुव्यवस्था पूर्वक इतने भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया है। मां ज्ञान द्वारा जन जन को दिया जाने वाला संदेश अनमोल है जिसे सबका आत्मसात करना चाहिए।

झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री  श्री बाबूलाल मरांडी जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि मुझे काफी लंबे समय के बाद कबीर मंदिर के कार्यक्रम में शामिल होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। जब मैं आया था तब से अभी तक काफी परिवर्तन हुआ है। मां ज्ञान द्वारा विभिन्न सेवा प्रकल्प को आरंभ किया गया है। मैं जान कर हतप्रभ हूं कि इन्होंने 60 से अधिक पुस्तकों की रचना की है।वर्तमान में जिस पुस्तक के विमोचन का सौभाग्य हमें प्राप्त हुआ है वह है *हमारे श्री राम* इसमें सद्गुरु मां ज्ञान ने जन सामान्य को भी अपनी संस्कृति से जोड़ने का अथक प्रयास किया है। भगवान श्री राम के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने के लिए सद्गुरु मां के द्वारा दिया गया संदेश बहुत कीमती है। जब भी मुझे सेवा का अवसर प्राप्त होता है मैं इसे अपना अहोभाग्य समझता हूं।

श्री कबीर ज्ञान मंदिर के संस्थापिका *मां ज्ञान* ने पुस्तक विमोचन के अवसर पर *हमारे श्री राम* पुस्तक की रचना के संदर्भ में प्रकाश डालते हुए कहा अभी के समय में कुछ क्षुद्रस्वार्थ के व्यक्ति कूप्रचार करते हैं कि हिंदू धर्म बहुत सी जाति पाती में बटा हुआ है। हमारे आदर्श श्री राम ने भी उच– नीच का विभेद किया। इन अंधमान्यताओं को दूर करने के लिए तथा जाति के नाम पर बांट रहे समाज को एकजुट करने के लिए हमारे श्रीराम पुस्तक की रचना की गई। जिसका पठन-पाठन करने वाले निश्चय वास्तविकता से परिचित होंगे तथा को कुप्रचार को करारा जवाब देंगे। हमारी इच्छा है कि सभी वर्ण और सभी जाति के लोग एक मुट्ठी बनकर भारत की अखंडता को अक्षुण्ण बनाएं। जब भी हमें सशक्त समाज हेतु लिखने का अवसर मिलेगा मैं नई-नई कृतियों का निर्माण करती रहूंगी।

द्वितीय सत्र के कार्यक्रम में सदगुरु कबीर ज्ञान गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें विद्वत जनों ने सदगुरु कबीर की रचना एवं सनातन धर्म में सदगुरु कबीर के स्थान तथा सनातन के पुरोधा कबीर का हिंदुत्व के प्रति विचार पर मंथन किया गया।

आयोजित हुआ विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम

वाणी, ईरा, शिवांशी, अनिका तथा अन्य नन्हे-मुन्ने बच्चियों द्वारा *सद्गुरु ने कर दी धुलाई मेरे मन की* भजन पर भावनृत्य की प्रस्तुति थी।

इसके अतिरिक्त “लक्ष्मी की कृपा” तथा “किराट की भक्ति” पर नाट्य मंचन की प्रस्तुति की गई। इस नाट्य मंचन की प्रस्तुति के माध्यम से यह संदेश दिया गया गुरु की महत्ता का संदेश दिया गया।

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