स्मार्ट मीटर आंवटन में हुई टेंडर में घोटाला, 98 करोड़ की जगह 140 करोड़ वाले को दिया काम, मामला पहुंचा हाईकोर्ट
स्मार्ट मीटर आंवटन में हुई टेंडर में घोटाला, 98 करोड़ की जगह 140 करोड़ वाले को दिया काम, मामला पहुंचा हाईकोर्ट
स्मार्ट मीटर आंवटन में हुई टेंडर में घोटाला, 98 करोड़ की जगह 140 करोड़ वाले को दिया काम, मामला पहुंचा हाईकोर्ट
रांची:खबर 24 न्यूज डेस्क
झारखंड/रांची: झारखंड में स्मार्ट मीटर लगाया जा रहा है जिसका शुरुआत रांची के बाद धनबाद जिला में इसके लिये सर्वे किया जा रहा है ,अपको बता दे की स्मार्ट मीटर लगाने के साथ ही राजधानी में स्मार्ट मीटर घोटाले की खबरें आने लगी. पहले स्मार्ट मीटर के लिये तार को लेकर एजेंसियों की मनमानी की खबरें आयीं. वहीं, अब झारखंड बिजली वितरण निगम पर टेंडर घोटाला का आरोप लगा है. मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी है. इस संबंध में विधायक सरयू राय ने ट्वीट भी किया है. जिसमें बताया गया है कि बिजली वितरण निगम ने टेंडर शर्तों की अवहेलना करते हुए टेंडर आवंटित किया है. जिस कंपनी की ओर से मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी है, उसने निगम पर आरोप लगाया है कि मीटर आपूर्ति की निविदा दर 98 करोड़ रूपये रखी गयी. इसके बाद भी निगम ने 140 करोड़ रूपये वाली कंपनी को आपूर्ति आदेश दे दिया. विधायक सरयू राय ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि याचिकाकर्ता पर निगम की ओर से दबाव बनाया जा रहा है. जहां केस वापस लेने की बात की जा रही है. सरयू राय ने इस मामले में मुख्यमंत्री से जांच करने की मांग की है.
झारखंड के रांची में अब तक 90 हजार स्मार्ट मीटर लगाये गये है जो रांची में इस साल जनवरी से स्मार्ट मीटर लगाये जा रहे है यह 6 माह में अबतक झारखंड के राजधानी रांची में लगभग 90 हजार घरों में स्मार्ट मीटर लगाया गया है. जबकि एक हजार स्मार्ट मीटर प्रीपेड मोड पर कार्यरत है. राजधानी रांची में ये काम एजेंसी जीनस कंपनी को दिया गया है. रांची में तीन लाख 50 हजार स्मार्ट मीटर बदले जाने है. जबकि धनबाद में स्मार्ट मीटर के तहत सर्वे कार्य जारी है. सर्वे के बाद चयनित एजेंसी स्मार्ट मीटर लगायेगी. यहां डेढ़ लाख उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर देना है. इसके लिये एजेंसी बेनटेक को कार्य दिया गया है ।
रांची में तार के लिये हुई थी शिकायत
जानकारी हो की इसके पहले झारखंड के राजधानी रांची में स्मार्ट मीटर कनेक्शन के लिये उपभोक्ताओं ने शिकायत किया था. जिसमें बताया था कि एजेंसी की ओर से मनमाने तरीके से उपभोक्ताओं से तार की मांग की जा रही है. इस शिकायत के बाद जेबीवीएनएल ने गाइडलाइन जारी करते हुए कहा था कि पुराना कनेक्शन होने पर उपभोक्ताओं को तार नहीं देना होगा. तार सही पाये जाने पर एजेंसी उसी तार का इस्तेमाल करेगी. जबकि तार कटा फटा होने पर एजेंसी खुद तार बदलेगी. वहीं नये कनेक्शन वाले उपभोक्ताओं को खुद का तार निगम को देना है l