विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर एक विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया
विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर एक विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया
विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर एक विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया
यूपी: प्राणनाथ महाविद्यालय मऊ चित्रकूट के सभागार में विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर एक विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम में प्रबंध कार्यकारिणी के अध्यक्ष श्री शिव चरण लाल रस्तोगी जी, प्रबंधक श्री सुंदर लाल सुमन जी, प्रबंध कार्यकारिणी के सक्रिय, श्री विष्णु शरण पुजारी जी, प्राचार्य डॉ संतोष कुमार चतुर्वेदी जी, सूबेदार मेजर श्याम बाबू द्विवेदी जी, सेवानिवृत्त सैनिक श्री इंद्रेश त्रिपाठी, श्री राजेंद्र सिंह पटेल, रिंकू रस्तोगी जी, श्री अरुण कुमार मिश्र जी, सुरेंद्र कुमार श्रीवास्तव, कार्यालय अधीक्षक अरविंद कुमार यादव, बालकृष्ण विश्वकर्मा, अजय कुमार द्विवेदी महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक व कार्यक्रम के संचालन डॉ एस कुरील व सभी छात्र छात्राएं इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। नवंबर यातायात माह सड़क सुरक्षा अभियान को लेकर महाविद्यालय स्तर जनपद स्तर और मंडलीय स्तर में, विश्व एड्स दिवस के अवसर पर व विश्व मानवाधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित क्विज प्रतियोगिता आग प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले 35 छात्र छात्राओं को सफल प्रतिभागियों प्रमाण पत्र व सम्मान के रूप में प्रोत्साहन के रूप में प्राप्त धनराशि को भी प्रदान किया गया यह धनराशि रस्तोगी परिवार के सहयोग से इन छात्र-छात्राओं को वितरित की गई महाविद्यालय परिवार ऐसे सम्मानित व्यक्तियों को इस अवसर पर उनके सहयोग के लिए उन्हें धन्यवाद व आभार प्रकट करती है। कार्यक्रम के प्रारंभ में सरस्वती वंदना बीए प्रथम वर्ष की छात्रा तुलसी देवी, हिमांशी व प्रीति देवी व स्वागत गीत बीए प्रथम वर्ष की छात्रा हेमा मिश्रा, सुचेता सिंह, साक्षी द्विवेदी ने प्रस्तुत किया इसके पश्चात महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ एस कुरील ने विश्व मानवाधिकार दिवस की प्रासंगिकता पर संक्षिप्त प्रकाश डाला, डॉ कुरील कहां की संपूर्ण विश्व में इसे 10 दिसंबर को यह दिवस बड़े धूमधाम से मनाया जाता है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्वाभाविक रूप से पूरी दुनिया के लिए मानवीय अधिकारों की वृहद घोषणा की थी इसी परिपेक्ष में भारत में भी 28 सितंबर 1993 मैं मानवीय अधिकार कानून को अमल में लाया गया 12 अक्टूबर 1993 को सरकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया मानवाधिकार किसी भी व्यक्ति की जिंदगी आजादी बराबरी और सम्मान का अधिकार है यह मानवीय अधिकारों को पहचानते ने उसको वजूद देने अस्तित्व मे लाने के लिए तथा अधिकारों के लिए यह दिवस मनाया जाता है संपूर्ण विश्व में मानवता के खिलाफ हो रहे जुल्मों को रोकने व उसके विरूद्ध संघर्ष को एक नई दिशा देने में इस दिवस की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है मानव अधिकार से तात्पर्य उन सभी अधिकारों से है जो व्यक्ति की जीवन स्वतंत्रता समानता एवं प्रतिष्ठा से जुड़े हुए हैं समय-समय पर इनके वजूद की रक्षा करने के लिए समाज में अनेक क्रांतियां हुई हैं उनका असर भी व्यापक रूप से हुआ है इस दिवस को मनाने का औचित्य यह है कि सभी व्यक्ति अपने अधिकारों व कर्तव्य को सही प्रकार से निभा सके वह दूसरों के अधिकारों के विषय में भली-भांति प्रकार जानकर मर्यादा में रह सके इससे भी अधिक दो कदम आगे चलकर हमें ना केवल मनुष्य अपितु जीव जंतुओं के मौलिक अधिकारों के प्रति भी अत्यंत संवेदनशील रहना सीखना होगा मानव अधिकारों कर्तव्य संघर्षों तथा इस जीवन को सही रूप मे जाने का इसे समझने का प्रयास करें,
इसी क्रम में एसएम श्याम बाबू द्विवेदी जी ने भी देश के प्रति कर्तव्य निर्वाहन की जिम्मेदारी का एहसास कराया और कहां इस देश के निष्ठा और समर्पण के लिए व उसकी समृद्धि तथा विकास में हमारा योगदान होना चाहिए इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि अपने कर्तव्यों को भलीभांति समझें और जीवन में उनका अनुसरण करें, श्री विष्णु शरण पुजारी जी ने अपने संबोधन में कहा कि एक छात्र का अधिकार व कर्तव्य क्या है पहले उसे समझें क्योंकि विद्यार्थियों के कंधों पर ही इस देश का भार है इसलिए पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ निर्वहन करने की है, प्रबंधक श्री सुंदरलाल सुमन जी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत सीमा में लगे जिस तरह से तिब्बत की आजादी के लिए भारत के लोग लगे हैं वास्तव में उस देश के एक महान पुरुष जिसने पूरी दुनिया में शांति का बिगुल फूंका जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें नोबेल प्राइज से सम्मानित किया गया परंतु 1959 में पड़ोसी चीन ने जिस तरह से तिब्बत एकता अखंडता और संप्रभुता को आघात पहुंचाते हुए अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और नियमों की परवाह किए बिना अपने अधिकार क्षेत्र में शामिल कर लिया है आज वहां के नागरिक भारत सहित दुनिया के कई देशों में शरणार्थियों के रूप में उन्हें रहना पड़ रहा है यह पूरी दुनिया के सामने सार्वभौमिक मौलिक अधिकारों को लेकर सबसे बड़ी चुनौती है दुनिया में शक्ति संपन्न अमेरिका व यूरोप के देशों सहित सभी विकसित राष्ट्रों के समक्ष यह बड़ी चुनौती है क्योंकि यह देश पूरी दुनिया में सार्वभौमिक मानवाधिकारों की वकालत करते हैं सामूहिक सुरक्षा व सहकारी सुरक्षा की बात करते हैं उन्हें इस मुहिम को बढ़ाना होगा और तिब्बत को चीन से मुक्त कराना होगा तभी इस दिवस की प्रासंगिकता सार्थक सिद्ध होगी और कोई भी देश कितना भी शक्तिशाली क्यों ना हो किसी भी कमजोर व गरीब राष्ट्र की एकता, अखंडता व संप्रभुता को चोट नहीं पहुंचा सकेगा। मऊ के प्रमुख समाजसेवी श्री राजेंद्र सिंह पटेल जी ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए। पूर्व छात्र एवं व्यापारी श्री रिंकू रस्तोगी में भी महाविद्यालय के हर कार्यो में बच्चों को सहयोग प्रदान करने की बात की।बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा आम्रपाली त्रिपाठी, कृतिका शुक्ला, कृतिका मिश्रा, राष्ट्रगीत दुर्गेश त्रिपाठी मैं प्रस्तुत किया कार्यक्रम के अंत में प्रबंध कार्यकारिणी के अध्यक्ष श्री शिवचरण लाल रस्तोगी जी ने कर्तव्यों के निर्वहन पर विशेष रूप से बल प्रदान करते हुए छात्र-छात्राओं द्वारा किए गए कार्यों सराहना की तथा उन्हें धन्यवाद व शुभकामनाएं प्रदान की। समापन की इस कड़ी में सड़क सुरक्षा अभियान के तहत मंडल स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में भाग लेने वाली द्वितीय विजेता मानसी मिश्रा, पोस्टर प्रतियोगिता में प्रतिभागी छात्रा शेख खुशनुमा व क्विज प्रतियोगिता में रोशनी देवी सहित कुल 35 छात्र छात्राओं को प्रमाण पत्र व पुरस्कार प्रदान किया गया कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य डॉ संतोष कुमार चतुर्वेदी जी ने मानवाधिकार दिवस पर संक्षिप्त विचार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम में उपस्थित सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत व आभार प्रकट कर कार्यक्रम के समापन की घोषणा की ।
विजय त्रिवेदी चित्रकूट