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संत शिरोमणि रविदास की 645 वां जयंती मनाई गई

संत शिरोमणि रविदास की 645 वां जयंती मनाई गई

प्रखंड क्षेत्र के ग्राम सलैया मोड में संत शिरोमणि रविदास की 645 वां जयंती मनाई गई। समारोह का संचालन चेतलाल रविदास के द्वारा किया।कार्यक्रम की शुरुआत जिला परिषद सदस्य कुमकुम देवी व सलैया मुखिया गोपाल प्रसाद के द्वारा संत शिरोमणि रविदास की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित अतिथि जिला परिषद सदस्य कुमकुम देवी ने संबोधित करते हुए कहा कि संत शिरोमनी रैदास की जयंती प्रत्येक वर्ष माघ माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। संत रविदास ने अपना जीवन प्रभु की भक्ति और सत्संग में बिताया। वे बेहद ही परोपकारी थे। सलैया मुखिया गोपाल प्रसाद ने कहा कि सतगुरु रविदास जी भारत के विशेष महापुरुषों में से एक हैं । जिन्होंने अपने आध्यात्मिक वचनों से सारे संसार को भाईचारा के एकता जोड़ा। उन्होंने जीवन भर समाज में फैली कुरीति जैसे जात पात के अंत के लिए काम किया। साथ ही कहा कि संत रविदास की वाणी मन चंगा तो कठौती में गंगा के भावार्थ को विस्तार से बताते हुए कहा कि संत रविदास लोगों के जूते सिलते हुए भगवान का भजन करने में मग्न रहते थे। इसी क्रम में एक महिला उनके पास पहुंची और उन्हें गंगा स्नान करने की सलाह दी। मस्तमौला संत रविदास जी ने कहा कि जो मन चंगा तो कठौती में गंगा, यानी यदि आपका मन पवित्र है तो यही गंगा है। इस पर महिला ने संत से कहा कि आपके कठौती में गंगा है तो मेरी झुलनी गंगा में गिर गई थी। आप मेरी झुलनी ढूंढ दीजिए। इस पर संत रविदास ने अपना चमड़ा भिगोने की कटौती में हाथ डाला और महिला की झूलनी निकाल कर दे दी। इस चमत्कार से महिला हैरान रह गई और उनके प्रसिद्धि के चर्चे दूर-दूर तक फैल गई समाजसेवी रामसेवक प्रसाद के द्वारा भी संत के वाणी प्रभु जी तुम चंदन हम पानी के मर्म को समझाया गया। कार्यक्रम में इन्द्रदेव प्रसाद, लीलधारी प्रसाद,नागेश्वर दास, राजु दास, भीम दास, सरयु रविदास, छोटी रविदास समेत आदि महिला पुरुष शामिल थे।

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