विधानसभा के निवर्तमान विधायक निर्भय कुमार शाहावादी के आवासीय कार्यालय में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस के रूप में श्रद्धापूर्वक मनाया गया
विधानसभा के निवर्तमान विधायक निर्भय कुमार शाहावादी के आवासीय कार्यालय में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस के रूप में श्रद्धापूर्वक मनाया गया
विधानसभा के निवर्तमान विधायक निर्भय कुमार शाहावादी के आवासीय कार्यालय में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस के रूप में श्रद्धापूर्वक मनाया गया
गिरिडीह, मनोज कुमार।
गिरिडीह : विधानसभा के निवर्तमान विधायक निर्भय कुमार शाहावादी के आवासीय कार्यालय में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस के रूप में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर उपस्थित भाजपा कार्यकर्ता नेताओं के द्वारा उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किया गया।
इस अवसर पर निवर्तमान विधायक निर्भय कुमार शाहाबादी, जिला महामंत्री संदीप दंगाईच, संजय सिंह अनूप सिन्हा, मोतीलाल उपाध्याय गोपाल विश्वकर्मा दीपक स्वर्णकार,अंजय यादव,नवनीत सिंह,ओम सिंह, दीपक शर्मा, हबलू गुप्ता,मिथुन चंद्रवसी,अरविंद चंद्र राय,फालेंद्र सिंह,अशोक सिंह,ओम प्रकाश गुप्ता,बीरेंद्र वर्मा,शिव पूजन ठाकुर,शमशाद आलम,पंचानंद वर्मा,मनोज पंडित,सुरेश गुप्ता,उमाशंकर सिंह,अनिल मिश्रा सहित सैकड़ों भाजपा कार्यकर्ता मौजूद थे।
इस अवसर पर गिरिडीह के निवर्तमान विधायक निर्भय कुमार शहाबादी ने उनके जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत के राष्ट्रवादी महापुरुष डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विचारों में संपूर्ण भारत दिखता था वह संपूर्ण भारत को एक रूप में मानते थे। डॉ मुखर्जी इस धारणा के प्रबल समर्थक थे की सांस्कृतिक दृष्टि से हम सब एक हैं। इसलिए धर्म के आधार पर वे विभाजन के कट्टर विरोधी थे। परंतु उनके इन विचारों को अन्य राजनीतिक दलों के तत्कालीन नेताओं ने अन्यथा रूप से प्रचारित प्रसारित किया बावजूद उनके लोगों के दिलों में उनके प्रति अर्थात प्यार और समर्थन बढ़ता गया।अपने 52 वर्ष के जीवन काल में और 14 वर्ष के राजनीतिक काल में स्वतंत्र भारत के प्रथम कैबिनेट में मंत्री बनना, ज्ञात हो की स्वतंत्र भारत के प्रथम कैबिनेट में उन्हीं लोगों को स्थान मिला जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपना संपूर्ण सहयोग और बलिदान दिया। डॉक्टर मुखर्जी के देशभक्ति पूर्ण विचारों से सहमति होकर उन्हें देश के प्रथम राजनीतिक नायकों की श्रृंखला में शामिल किया लेकिन बाद में पाकिस्तान में हुए हिंदुओं के नरसंहार के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नेहरू से मतभेद हो गए जिसके कारण उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से त्यागपत्र शॉप कर हिंदू हितों की रक्षाके लिए संपूर्ण सुख सुविधाओं का परित्याग कर इस बीड़ा को पूरा करने में पूरे प्राण पण से जुड़ गए ,कैबिनेट छोड़ने के बाद उन्होंने भारतीय जनसंघ की स्थापना की, जो कि बाद में आज भारतीय जनता पार्टी के रूप में स्थापित हो गई है।
बलिदान दिवस के अवसर पर पर्यावरण की रक्षा में सहयोग के रूप में दर्जनों पौधा रोपण किया गया ।