भूमिगत कोयला खदान में देश की पहली महिला खनन इंजीनियर बनीं बड़कागांव की आकांक्षा
2018 में बीआईटी (सिंदरी) धनबाद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की पूरी
बड़कागांव : झारखंड के हजारीबाग के बड़कागांव की रहने वाली आकांक्षा कुमारी ने सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) में भूमिगत खदान की इंजीनियर (माइनिंग इंजीनियर) के रूप में कार्यभार ग्रहण किया है। वह भारतीय कोयला निगम में खदान में काम करने वाली पहली इंजीनियर बन गयी हैं। इस संबंध में बताया कि सीसीएल के चार दशक के इतिहास में यह पहली बार है जब एक महिला माइनिंग इंजीनियर ने यहां कार्यभार ग्रहण किया है।आकांक्षा ने मंगलवार को नॉर्थ कर्णपुरा क्षेत्र की चूरी भूमिगत खदान में कार्यभार संभाला। आगे कहा गया कि आकांक्षा कोल इंडिया की दूसरी और भूमिगत खदान में योगदान देने वाली पहली महिला माइनिंग इंजीनियर हैं। उन्होंने अपने इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में भूमिगत खदान को चुनकर न सिर्फ इस भ्रांति को तोड़ा है कि खनन क्षेत्र सिर्फ पुरुषों के लिए है, बल्कि अपने जैसी और भी महत्वाकांक्षी छात्राओं को प्रेरित किया है। बताया कि पहले माइनिंग में छात्राओं के लिए कोर्स नहीं होते थे। आकांक्षा ने अपनी स्कूली पढ़ाई नवोदय विद्यालय से की है।
बचपन से ही उन्होंने अपने आस पास कोयला खनन की गतिविधियों को करीब से देखा है। इसके चलते खनन के प्रति उनकी रुचि शुरू से ही रही है। यही कारण है कि उन्होंने इंजीनियरिंग में माइनिंग शाखा का चुनाव किया। उन्होंने 2018 में बीआईटी (सिंदरी) धनबाद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। कोल इंडिया में अपना योगदान देने से पहले उन्होंने तीन वर्ष तक हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड की राजस्थान स्थित बल्लारिया खदान में काम किया। उनके पिता अशोक कुमार बड़कागांव के आदर्श मध्य विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक हैं और मां कुमारी मालती गृहिणी हैं।
इस संबंध में आकांक्षा के पिता शिक्षक अशोक कुमार ने बताया कि बचपन में अपने दादा को आसपास के स्थानीय कोयला खदान एवं जंगलों की लकड़ियों से बने कोयला को देखकर कोयला के बारे में परिवारों से जानकारी लेने की महत्वकांक्षी बड़ी थी और तब से इस क्षेत्र में पढ़ाई की रुचि लेने लगी।