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भारतीय सभ्यता व संस्कृति की प्राण धारा है गंगा

गंगा जल का प्रदूषण नहीं, विरासत है

संयुक्ता न्यूज डेस्क

बलिया – नेहरू युवा केन्द्र बलिया के तत्वावधान एवं नमामि गंगे के अन्तर्गत ग्राम स्तरीय गंगादूतों के दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ सोमवार को क्षेत्र के अड़रा घोड़हरा स्थित एसजी पब्लिक स्कूल के सभागार में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया।

 

इस अवसर पर उपस्थित गंगा दूतों को सम्बोधित करते हुए जिला प्रशिक्षक नितेश पाठक ने कहा कि गंगा एक नदी ही नहीं है, अपितु भारतीय सभ्यता व संस्कृति की मुख्य प्राण धारा है। सदियों से गंगा नदी अपने निर्मल जल से भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का पालन-पोषण करती आई है। लेकिन दुर्भाग्य है कि विगत कई दशकों से गंगा का यह निर्मल जल प्रदूषित हो गया है। लोगों की लापरवाही के कारण गंगा के अस्तित्व पर संकट के बादल छा रहे हैं। यह महज गंगा जल का प्रदूषण नहीं है, बल्कि ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत का प्रदूषण है

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