Breaking Newsअपराधउत्तर प्रदेशताजा खबरशिक्षाहेल्थ

बीते 71 महीनों में 10 हजार शिक्षा मित्रों की हो चुकी है मौत – सर्वश यादव 

प्रदेश में औसतन रोज हो रही है तीन -चार शिक्षा मित्रों की मौत 

बीते 71 महीनों में 10 हजार शिक्षा मित्रों की हो चुकी है मौत – सर्वश यादव 

सात साल से एक चवन्नी नही बढ़ा मानदेय शिक्षा मित्रों की तीन पीढ़ी का अस्तित्व संकट में 

प्रदेश में औसतन रोज हो रही है तीन -चार शिक्षा मित्रों की मौत 

चित्रकूट :  शिक्षा मित्र संघ के वरिष्ठ नेता सामाजिक पर्यावरण चिन्तक सर्वेश यादव ने जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि वर्तमान समय में कमर तोड़ महंगाई में शिक्षा मित्रों को मानवीय जीवन जीना कितना दुष्कर है ये सब जानते हुये भी सरकार ने शिक्षा मित्रों को तिलतिल कर मरने के लिए मजबूर कर दिया है,

एक ओर जहाँ बीते 71 महीनों में दाल में 80 रुपये, टमाटर में 80 रुपये, तेल रिफ़ाइन्ड में 60 रुपये, चावल में 30 रुपये, नमक में 10 रुपये प्रति किलो रसोई गैस में 700 रुपये तथा अन्य सामान में भी लगभग 50 फ़ीसदी महंगाई बढी है किन्तु शिक्षा मित्रों के मेहनताने में चवन्नी की भी बढोत्तरी नही की गई जबकी अन्य राज्य सरकारें अपने यहाँ कार्यरत शिक्षा मित्रों को 25 से 40 हजार सम्मानजनक मानदेय दे रही हैं इस मामले में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पूरे भारतवर्ष में सबसे फ़िसड्डी और क्रूर सरकार साबित हो रही है!

यादव ने बताया कि आर्थिक तंगी, सामाजिक उपेक्षा के चलते इन 71 महीनों में 10 हजार शिक्षा मित्रों की मौत हो चुकी है और प्रदेश भर में औसतन प्रतिदिन 3-4 शिक्षा मित्रों की मौतों का सिलसिला जारी है!

 

यादव ने बताया कि शिक्षा मित्रों को 10 हजार प्रतिमाह (सिर्फ़ 11 माह) का मानदेय दिया जाता है जिससे पूरे परिवार का भरण पोषण, बूढ़े माँ बाप की दवाई और बच्चों के भविष्य की रक्षा कैसे करें!

 

अपने और बच्चों के भविष्य की चिन्ता की अधेड़ बुन में बूढ़े हो चले शिक्षा मित्रों की किस्मत का पिटारा राजनीति की कैद में है, शिक्षा मित्रों की तीन – तीन पीढियाँ श्रापित जीवन जीने को मजबूर हैं इस पर कोई भी सामाजिक संगठन, मानवाधिकार आयोग, प्रधान मंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री, ध्यान नही दे रहे!

सर्वेश यादव ने सरकार से यक्ष प्रश्न करते हुये कहा कि उत्तर प्रदेश के पांच करोड़ बच्चों का भविष्य संवारने का ऐतिहासिक कार्य करने वाले, दो दसक पूर्व बन्द पड़े बेसिक के स्कूलों का ताला खोलने वाले, मृत प्राय हो चुकी बेसिक शिक्षा को जीवन देने वाले, अध्यापकों के बराबर योग्यता रखने वाले शिक्षा मित्रों के साथ इतना घोर अन्याय क्यों? आखिर शिक्षा मित्रों को किस गुनाह की सजा ! प्रजापालक का धर्म निभाते हुये शिक्षा मित्रों को भी मानवीय जीवन जीने का अधिकार दे तभी सही मायने में रामराज्य की परिकल्पना की अनुभूति होगी!

 

संवाददाता: विजय त्रिवेदी चित्रकूट

Related Articles

Back to top button