बहुआयामी कलाओं के प्रदर्शन के साथ चित्रकूट में सम्पन्न हुआ व्यक्तित्व विकास शिविर
शिविर में 109 ग्राम आबादियों के 179 बच्चों का हुआ एक साथ प्रदर्शन
बहुआयामी कलाओं के प्रदर्शन के साथ चित्रकूट में सम्पन्न हुआ व्यक्तित्व विकास शिविर
शिविर में 109 ग्राम आबादियों के 179 बच्चों का हुआ एक साथ प्रदर्शन
भारत की प्रकृति, संस्कृति एवं गौरव की रक्षा हेतु बच्चों ने प्रस्तुत किये कार्यक्रम
चित्रकूट : शोध संस्थान द्वारा विगत 23 साल से चित्रकूट में प्रतिवर्ष आयोजित हो रहे व्यक्तित्व विकास शिविरों के माध्यम से ग्रामीण अंचल के बालक-बालिकाओं में मानवीय, सामाजिक और वैज्ञानिक गुण विकसित कर उनकी प्रतिभाओं को निखारने का सराहनीय काम किया जा रहा है।
डीआरआई द्वारा अवकाश के दिनों में 15 दिन का व्यक्तित्व विकास शिविर रामनाथ आश्रम शाला के शैक्षणिक परिसर चित्रकूट में लगाया गया था। जिसका समापन शनिवार को बच्चों की कलाओं के प्रदर्शन के साथ हुआ। शिविर का उद्घाटन 15 अप्रैल को हुआ था, जिसमें कक्षा 5 से लेकर 9 तक के 10 से 15 वर्ष की आयु के बच्चे सहभागी रहे।
शिविर का समापन कार्यक्रम में श्री सीता शरण जी महाराज जानकी महल, श्री गोविंद दास जी महाराज भगवत आराधना आश्रम, डॉ भरत मिश्रा कुलपति महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, श्री सन्तोष त्रिपाठी संयुक्त संचालक शिक्षा रीवा सम्भाग, श्री कमलेश्वर तिवारी सहायक संचालक शिक्षा, डॉ अमरजीत सिंह एवं डॉ वीरेंद्र उपाध्याय प्रवक्ता महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, श्री अभय महाजन राष्ट्रीय संगठन सचिव दीनदयाल शोध संस्थान, श्री संदीप शर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
शिविराधिकारी बृजेश त्रिवेदी द्वारा शिविर आख्या का वाचन किया गया, शारीरिक प्रदर्शनों से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। अलग-अलग समूहों में लेजिम, योगासन डम्वल, कराटे, पिरामिड की आकर्षक प्रस्तुतियों ने सभी को प्रभावित किया। गीत की धुन पर योगचाप का प्रदर्शन तथा विद्या, आयु, प्रज्ञा, या, बल की बृद्धि के लिये सामूहिक सूर्य नमस्कार के साथ ताल से ताल, कदम से कदम, स्वर से स्वर मिलाकर सभी बच्चों ने डम्बल का प्रदर्शन किया।
मंचीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सर्वप्रथम गणेश वंदना की प्रस्तुति हुई। समापन समारोह के भव्य मंच से सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भारत की विविधताओं वाली एकात्म संस्कृति का दर्शन उपस्थित जनसमुदाय ने किया। इन सभी के बीच तबला, हारमोनियम एवं ढ़ोलक वादन की प्रस्तुतियां अनोखे ढंग से हुई। भारत की प्रकृति, संस्कृति एवं गौरव की रक्षा हेतु विभिन्न गीत भी बच्चों द्वारा प्रस्तुत किये गये। समापन अवसर पर शिविर के प्रशिक्षकों को अतिथियों द्वारा सम्मानित भी किया गया। मेंहदी, रंगोली एवं चित्रकला प्रशिक्षण के अन्तर्गत शिविरार्थी बच्चों द्वारा तैयार की गई सामग्री की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
शिविर में शारीरिक एवं बौद्धिक कार्यक्रमों के साथ साथ अलग अलग प्रकार के विषयों पर व्यवहारिक प्रशिक्षण शिविरार्थियों ने अलग अलग समूहों में प्राप्त किया। हारमोनियम, ढोलक, तबला, गायन, नृत्य, चित्रकला और मेंहदी-रंगोली का प्रशिक्षण प्राप्त किया। शिविर के बौद्धिक सत्र में प्रतिदिन अलग अलग व्यवहारिक प्रयोगात्मक विषयों पर विषय विशेषज्ञों द्वारा ज्ञानवर्धन किया गया। शारीरिक प्रशिक्षण के अन्तर्गत डम्बल, लेजिम, योग दण्ड योग एवं नियुद्ध का प्रशिक्षण दिया गया। रात्रिकालीन कार्यक्रम के मनोरंजन सत्र में बालक बालिकाओं की उत्साहपूर्ण सहभागिता देखने को मिली। इस दौरान विभिन्न प्रतियोगितायें भी करायी गयी। शिविर के दौरान दीनदयाल शोध संस्थान के विभिन्न प्रकल्पों के कार्यकर्ताओं का अच्छा सहयोग प्राप्त हुआ। जिनके अथक प्रयासों से कम समयावधि में बच्चे अधिक विधाओं को सीख सकें।
शिविर के बौद्धिक प्रमुख कालिका प्रसाद श्रीवास्तव ने बताया कि विभिन्न सत्रों में बौद्धिक के दौरान उन्हें शिविर की आवश्यकता-उद्देश्य और महत्व, हमारा गौरवशाली अतीत, व्यक्तित्व विकास एवं अनुशासन, चित्रकूट का पौराणिक महत्व, स्वच्छ पर्यावरण, समाज एवं संस्कार, पुण्य भूमि भारत, जीवन में सेवा कार्य का महत्व आदि कई महत्वपूर्ण विषयों पर विशेषज्ञों का मार्गदर्शन मिला।
इस अबसर पर संयुक्त शिक्षा निदेशक श्री सन्तोष त्रिपाठी ने कहा कि व्यक्तित्व विकास शिविर का उद्देश्य आपकी शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक सभी प्रकार की शक्तियों का विकास करना है। 15 दिवस के इस अल्पावधि में आप सभी द्वारा जो सीखा गया है और उसका प्रस्तुतीकरण हुआ है। वह अत्यंत सराहनीय है। आप सभी जिस प्रकार अन्य गतिविधियों में अल्प समय में बेहतर कर रहे हैं इसी प्रकार शिक्षा क्षेत्र में भी आप अपना परिवार का नाम रोशन करें और देश की समृद्धि के वाहक बने ऐसी आप सभी को शुभकामनाएं।
दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव श्री अभय महाजन ने कहा कि हमारी प्रथम गुरु हमारी माता, द्वितीय गुरु हमारे पिता और तृतीय गुरु हमारे शिक्षक हैं जो सदैव चाहते हैं हमारे बच्चे उन्नति के शिखर पर जाएं उसके लिए वे सदैव प्रयत्नशील रहते हैं। 15 दिवस के इस व्यक्तित्व विकास शिविर में आपको जो सिखा सकते थे उससे कहीं ज्यादा आप सबने सीखा है और इसकी इतनी सुंदर रचना की है जो प्रशंसनीय है। आप सबने जो सीखा है वह पर्याप्त नहीं है अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है क्योंकि कला जीवन पर्यंत सीखने के बाद भी पूर्ण नहीं होती है। हम सभी व्यक्तित्व विकास के माध्यम से स्वयं, परिवार, समाज व राष्ट्र का उत्थान करें जिसमें देश सर्वोपरि है ऐसे विचार सदैव हमारे मन मस्तिष्क पर रहने चाहिए। भारत को श्रेष्ठ बनाने के लिए एक छोटी गिलहरी की भांति हमें भी अपनी भूमिका का निर्वहन करना है।आप सभी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में बेहतर बने, उन्नति के शिखर पर पहुंचे ऐसी आप सभी के लिए शुभकामनाएं एवं आप सबके द्वारा प्रस्तुत की गई शानदार प्रस्तुतियों के लिए बहुत-बहुत बधाई
कार्यक्रम का संचालन कर रहे गुरूकुल संकुल प्रभारी संतोष मिश्रा ने कहा कि विभिन्न ग्रामों, नगरों और विभिन्न सामाजिक आर्थिक स्तरों में बच्चों ने एक साथ रहकर सहजीवन का अभ्यास किया। शिविरार्थियों ने व्यक्तित्व विकास के विविध आयामों को हंसते-खेलते सहजता और सरलता से सीखा समझा है। समापन के उपरांत दीक्षांत सत्र में शिविरार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया गया। इस सत्र में शिविरार्थियों ने अच्छा नागरिक बनने के लिये 6 सूत्रीय शपथ ली।
विजय त्रिवेदी चित्रकूट यूपी