बरगंडा स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में रविवार को मातृशक्ति सम्मेलन का आयोजन किया गया।
बरगंडा स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में रविवार को मातृशक्ति सम्मेलन का आयोजन किया गया।
बरगंडा स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में रविवार को मातृशक्ति सम्मेलन का आयोजन किया गया।
गिरिडीह, मनोज कुमार।
गिरिडीह: बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु बरगंडा स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में रविवार को मातृशक्ति सम्मेलन का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का उद्घाटन निवर्तमान डॉ आरती वर्मा,डॉ पुष्पा सिन्हा,पूनम सिंह एवं प्रधानाचार्य शिव कुमार चौधरी ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर पुष्पार्चन किया।विषय प्रवेश पृथा सिन्हा एवं मंच संचालन सरिता कुमारी ने किया।
सम्मेलन में काफी संख्या में बच्चों की माताएँ उपस्थित थी।नन्हे-मुन्ने भैया- बहनों ने भाव नृत्य प्रस्तुत कर आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। माताओं के बीच घड़ा फोड़ो,चम्मच गोली रेस,सूई में धागा समाओ एवं कुर्सी रेश प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।विजेता माताओं को पुरस्कृत किया गया।
प्रधानाचार्य शिव कुमार चौधरी ने कहा कि बच्चों की शैक्षणिक वृद्धि एवं सर्वांगीण विकास हेतु विद्या भारती ने अपने पाठ्यक्रम में योग शिक्षा,शारीरिक शिक्षा,संगीत शिक्षा,संस्कृत शिक्षा,नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा को महत्वपूर्ण स्थान दिया है।बच्चों के आरंभिक काल में उनके मस्तिष्क का विकास तीव्र गति से होता है ऐसे में माताओं को चाहिए कि बच्चों में अच्छी आदत डालने की प्रवृत्ति विकसित करें।
डॉ आरती वर्मा ने कहा कि मातृ सम्मेलन का उद्देश्य माताओं को उनके पाल्य के शैक्षणिक विकास में प्रशिक्षित करना है।माता जब प्रशिक्षित होंगी तभी वह अपने बच्चों का देखभाल एवं शैक्षिक विकास कर पाएँगी।
डॉ पुष्पा सिन्हा ने कहा कि बच्चों के सीखने की प्रक्रिया माता के गर्भ काल से ही प्रारंभ होता है और मृत्युपर्यंत चलता है।बच्चों के सीखने सिखाने की कोई उम्र नहीं होती है।बच्चों को शिक्षाप्रद व प्रेरणादायी कहानियां सुनाना चाहिए क्योंकि बच्चे कहानी सुनने के शौकीन होते हैं।जिज्ञासु बच्चे जीवन पर्यंत सिखाए गए विषय वस्तु को याद रखते हैं।
पूनम सिंह ने कहा की विद्यालय द्वारा बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु सरस्वती शिशु विद्या मंदिर संस्कारपूर्ण वातावरण में शिक्षा दी जाती है जो अन्यत्र कहीं नहीं मिलता। मौके पर माताओं ने बच्चों के विकास के लिए अपनी-अपनी विचार को रखा।कार्यक्रम को सफल बनाने में विद्यालय के आचार्य- दीदी जी का सराहनीय योगदान रहा।