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पत्रकार इन्द्रनील चक्रवर्ती पिता स्वर्गीय अमलेंदु चक्रवर्ती की वार्षिक इस वर्ष पूर्ण हुई हैं।

पत्रकार इन्द्रनील चक्रवर्ती पिता स्वर्गीय अमलेंदु चक्रवर्ती की वार्षिक इस वर्ष पूर्ण हुई हैं।

पत्रकार इन्द्रनील चक्रवर्ती पिता स्वर्गीय अमलेंदु चक्रवर्ती की वार्षिक इस वर्ष पूर्ण हुई हैं।

 

बंगाल: उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रख्यात पत्रकार दीपांकर नाग पिता स्वर्गीय रामकृष्ण नाग माता स्वर्गीय प्रतिभा नाग दक्षिण 24 परगना के पत्रकार मित्रों के साथ गंगासागर में 500 कंबल 500 किलो चावल और दाल बेसहारा और परेशान गरीब लोगों के साथ-साथ अंधे विकलांगों और विकलांगों को गरीब बच्चों को बिस्कुट और कुछ आर्थिक मदद दी गई। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी इस कार्यक्रम का आयोजन सभी पत्रकार मित्रों के सहयोग से बहुत ही सुन्दर तरीके से किया गया।

कहते हैं कि कड़ाके की ठंड में पूर्वजों के नाम से अन्न और वस्त्र का दान करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। रक्त दान के तरह ठंड में ठिठुर रहे लोगों ने वस्त्र दान करके भी मानव जीवन की रक्षा की जा सकती है। इस बार कुछ कोलकाता के कुछ संवाददाताओं ने गंगा सागर मेले के कवरेज के दौरान अपने पूर्वजों के नाम से जरूरतमंदों में अन्न वस्त्र और कम्बल का दान किया। पत्रकार जो अपने जीवन की परवाह किये बैगर बिना किसी स्वार्थ के आम लोगों के हित साधने में लगे रहते हैं।

हालांकि वह खुद का प्रचार कभी नहीं करते। दिन हो या रात समाज की कुरीतियों को कुदेरने ,घटना दुर्घटना प्रताड़ित पीड़ितों की मदद के लिए हमेशा अग्रसर रहते हैं अनेकों बाधाओं का सामना करने के बाबजूद खबर को संग्रह करके आम जनता तक पहुंचने का काम करते हैं। आज कुछ संवाददाताओं ने अपने माता पिता की स्मृति में गंगा सागर मेले में उन लोगों में वस्त्र और कंबल का वितरण किया जो बेहद जरूरतमंद है। शीत लहर के समय कंबल और वस्त्र पाकर जरूरतमंदों के ख़ुशी का ठिकाना न रहा। संवाददाताओं को भरपूर आशीर्वाद दिया। कहते हैं कि ठंड में कंबल और वस्त्र दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है । दिवंगत आत्मा को शांति मिलती है। मृत्यु के आत्माओं की इच्छाओं की पूर्ति नहीं होती तो उनकी आत्मा अप्रत्यक्ष रुप से प्रभाव दिखाती है, जिसके कारण अशुभ घटनाएं घटित होती हैं। इसे पितृदोष भी कहते हैं। और यही कंबल और वस्त्र दान के जरिये पितृ दोष भी काटता है। इस बार गंगा सागर मेले में रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।

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