धर्म,जाति, क्षेत्र,भाषा, परिवार,समाज, राज्य,देश में बंटा जनमानस
रामप्रकाश तिवारी, प्रदेश अध्यक्ष,स्वतंत्र राष्ट्रवादी पार्टी, झारखंड
धर्म,जाति, क्षेत्र,भाषा, परिवार,समाज, राज्य,देश में बंटा जनमानस
रामप्रकाश तिवारी, प्रदेश अध्यक्ष,स्वतंत्र राष्ट्रवादी पार्टी, झारखंड
रांची: नफ़रत,घृणा,बिखड़ाव से उत्पन्न हिंसा आपसी संघर्ष,युद्ध का मूल स्रोत स्वार्थ,छिनने, हड़पने की प्रवृत्ति है। एक गांव है, मुहल्ला हो हर जगह दुष्ट प्रवृत्ति के मनुष्यों की जमात रहती है जो सीधे-सादे मनुष्यो,उसके परिवार के बीच मतभेद खड़ा करके उसकी जमीन छिनने,कम मूल्य में खरीदने,धोखे से कागजात पर हस्ताक्षर कराने जमीन, सम्पत्ति हड़पने की दिनचर्या रहती है दो परिवारों,फिर कई परिवारों,फिर जातियों, सम्प्रदायो,जिलों, राज्यों, देशों में स्वार्थी दुष्टों द्वारा अनावश्यक वाद-विवाद खड़ा किया जाता है। फिर झगड़े,दंगा-फ़साद,युद्ध होता है उस दौरान जान माल का नुकसान होता है। गांव-मोहल्ले के ठेकेदार, लफंगे दुष्ट लोग जिनकी संख्या कम होती है सीधे-सादे लोगों की भावनाओं को भड़काकर अपने साथ करके पीड़ित को सताते हैं।फिर जाति,धर्म के ठेकेदार अपनी अवैध कमाई ,लाखों करोड़ों अरबों रुपए की चल अचल संपत्ति जुटाने,एशो-आराम जीवन जीने की हवश में या राजनैतिक नेता सत्ता पाने,सत्ता में पकड़ रखने के लिए हर हथकंडा अपनाते हैं गांवों-शहरों में,जिलों में, राज्यों में,देशों में नफ़रत घृणा की बीज बोते हैं झगड़ा फ़साद युद्ध की स्थिति उत्पन्न कर देते हैं।मेरा परिवार,मेरा धर्म-जाति, क्षेत्र,भाषा समाज,मेरा गांव,मेरा जिला,मेरा राज्य मेरा देश की सीमाओं की गुलामी में के़द आपस में लड़ाते, लड़ते जनमानस को त्रासदी भरा मृत्यु चंद जीवन, सम्पत्ति, जमीन, औरत,मर्द की खातिर अपने स्वार्थ की लड़ाई में सैकड़ों हजारों लाखों करोड़ों लोग मारे जाते हैं। हर व्यक्ति, समाज, धर्म, जाति राज्य,देश का रहनुमा, शक्तिशाली, राजा,शासक बनने के लिए हमेशा धार्मिक,जातिय, क्षेत्रीय,भाषाई अलगाववाद,हिंसा युद्ध भड़काकर अपनी पोजिशन मजबूत करते हैं। अपने धर्म ,जाति, क्षेत्र,जमीन, राज्य,देश एवं जमीन के विस्तार,बढ़ाने की लड़ाई या अपने अस्तित्व,धर्म,जाति,जमीन, राज्य देश,अपनी जमीन,सम्पत्ति,बेटी बहू मां बहनों को बचाने या अपने राज्य,देश ,अपनी जमीन की सीमाओं की रक्षा,अपनी स्वतंत्रता की रक्षा की लड़ाई लड़ते हैं। इतिहास बदला, भूगोल बदला, सीमाएं बदली,गांव,शहर बदला, त्रासदी पूर्ण बंटवारा,युद्ध आम जनमानस को ही भारी कीमत जान-माल,जीवन, सम्पत्ति परिवार के सदस्यों को खोकर,बर्वादी की मंज़र झेलकर भोगनी पड़ती है कोई रहनुमा नहीं है।
राक्षसी दानवी, शैतान, चरित्रहीन,दलाल, असमाजिक माफिया,अपराधिक दुष्ट प्रवृत्ति के मनुष्यो, राजनीतिक नेताओं ने कभी सुख शांति से गांव,जिला,राज्य,देश में रहने वाले परिवारों,समाज, सम्प्रदायो को रहने नहीं दिया,विवाद खड़ा करना,सत्ता में पकड़ बनाये रखना अपने लिए धन सम्पत्ति जुटाना, पोजीशन बनाये रखना, एशो-आराम ज़िन्दगी जीना ही मुख्य उद्देश्य रहता है।ऐसे रंगे-रंगाये सियार से दूरी बनायें रखना या उससे बढ़ावा न देकर अच्छे, चरित्रवान,संस्कारी नेतृत्वकर्ता को गांव,शहर, राज्य,देश का बागडोर सौंपना जनमानस की विशेष जिम्मेदारी है।