गुरू हरकृष्ण धिआईए जिस डिठै सब दुख जाए……….
सिखों के आठवें गुरु श्री हरकृष्ण साहिब जी का प्रकाश पर्व धूमधाम से मना
गुरू हरकृष्ण धिआईए जिस डिठै सब दुख जाए……….
सिखों के आठवें गुरु श्री हरकृष्ण साहिब जी का प्रकाश पर्व धूमधाम से मना
गुरूद्वारे में हुआ शबद-कीर्तन व लंगर का आयोजन
गिरीडीह, मनोज कुमार।
गिरिडीह: सिखों के आठवें गुरु धन धन श्री हरकृष्ण साहिब जी का 367वां प्रकाश पर्व बड़े ही धूमधाम से रविवार को स्टेशन रोड स्थित स्थित गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा में धूमधाम से मनाया गया। देहरादून के भाई हरप्रित सिंह के द्वारा गुरू हरकृष्ण धिआईए जिस डिठै सब दुख जाए…….. समेत कई शबद प्रस्तुत किए गए, जिसे सुनकर सात संगत निहाल हो गई। गुरू हरकृष्ण साहिब जी की जीवनी के बारे में प्रकाश डालते हुए गुरुद्वारा गुरु सिंह सभा के सचिव नरेंद्र सिंह सलूजा उर्फ सम्मी ने कहा कि हम लोग काफी हर्षोल्लास के साथ अपने आठवें गुरु जी का प्रकाश पर्व मना रहे हैं। कहा कि सबसे कम उम्र में गुरू हर कृष्ण साहिब जी ने गद्दी प्राप्त की थी। महज 5 साल की उम्र में उन्हें गद्दी पर बिठाया गया था। उन्हें बाल पीर और बाला प्रीतम के नाम से भी जाना जाता है। गुरू हर कृष्ण जी हमेशा लाचार व बीमारों की सेवा में लगे हुए रहते थे। जब दिल्ली में चेचक की बीमारी ने विकराल रूप ले लिया था। उस समय गुरू हरकृष्ण साहिब जी ने लोगों की सेवा करते हुए काफी हद तक इस बीमारी से लोगों को बचाने का काम किया। लेकिन लोगों को बचाते-बचाते वे इस बीमारी की चपेट में आ गए और मात्र 8 साल की उम्र में ज्योति ज्योत समा गए।
उन्हीं की याद में दिल्ली में गुरुद्वारा बंगला साहिब बनाया गया है। प्रकाश पर्व को लेकर गुरुद्वारे में लंगर का भी आयोजन किया गया जिसमें सिख समाज के अलावा अन्य श्रद्धालुओं ने भी भाग लिया। मौके पर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रधान देवेंद्र सिंह, अमरजीत सिंह सलूजा, चरणजीत सिंह सलूजा, गुरदीप सिंह बग्गा, कुंवरजीत सिंह, राजेंद्र सिंह बग्गा समेत काफी संख्या में समाज के महिला-पुरूष व बच्चे मौजूद थे।