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गिरिडीह जिले के मधुवन स्थित विश्व विख्यात जैनियों के प्रसिद्ध तीर्थस्थल भगवान पार्श्वनाथ की मोक्ष की धरती

गिरिडीह जिले के मधुवन स्थित विश्व विख्यात जैनियों के प्रसिद्ध तीर्थस्थल भगवान पार्श्वनाथ की मोक्ष की धरती

 

गिरिडीह जिले के मधुवन स्थित विश्व विख्यात जैनियों के प्रसिद्ध तीर्थस्थल भगवान पार्श्वनाथ की मोक्ष की धरती

गिरिडीह, मनोज कुमार।

गिरिडीह:  गिरिडीह जिले के मधुवन स्थित विश्व विख्यात जैनियों के प्रसिद्ध तीर्थस्थल भगवान पार्श्वनाथ की मोक्ष की धरती श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल के रूप में घोषित किये जाने के झारखंड सरकार के निर्णय का पूरे भारत वर्ष में विरोध हो रहा है। जैन समाज न सिर्फ सड़कों पर उतरकर शांतिपूर्ण तरीके से सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे है बल्कि पर्वत वंदना करने के लिए आने वाले जैन तीर्थयात्रियों के साथ-साथ जैन मुनि भी सरकार के इस फैसले का विरोध करते हुए एक सुर में कह रहे है कि पारसनाथ पर्वत को पर्यटन स्थल के रूप में विकसीत करने के बजाय इसे धार्मिक स्थल के रूप में विकसीत किया जाना चाहिए।

 

गौरतलब है कि गिरिडीह मुख्यालय से महज 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मधुवन श्री सम्मेद शिखर जी में जैन समाज के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ सहित 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष प्राप्त किया है। जिनके दर्शन करने के लिए देश के विभिन्न राज्यों से ही नही बल्कि विश्व के कई हिस्सों से यहां तीर्थयात्री आते है। सरकार के इस फैसले के विरोध में सकल जैन समाज के द्वारा गुरुवार को गिरिडीह में भी विशाल मौन रैली निकालने की घोषणा की गई। जिसमें बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग शामिल होंगे और श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल घोषित नही करने की मांग करेंगे।

राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों से पर्वत वंदना के लिए आने वाले जैन तीर्थयात्रियों की माने तो पारसनाथ पर्वत तीर्थकरों की भूमि है। इस पर्वत के कण कण में भगवान बसे हुए है। तीर्थयात्रियों की माने तो अगर श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसीत किया जाता है तो पर्यटकों की आगमण बढ़ जायेगा और यहां घूमने के लिए आने वाले लोग बिना किसी नियम के पर्वत का भ्रमण करेंगे। जिससे उनके तीर्थस्थल की पवित्रता समाप्त हो जायेगी। कहा कि वेलोग अर्धरात्रि को पर्वत वंदना करने के लिए निकलते है और सूर्य अस्त होने से पूर्व नीचे आ जाते है। इस दौरान वेलोग पूरी पवित्रता के साथ नंगे पांव पर्वत वंदना करते है।

इधर जैन मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज से बात करने पर उन्होंने कहा कि श्री सम्मेद शिखर जी जैन समाज का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है और यहां पर अंहिसा परमोधर्म के प्रचारक भगवान पार्श्वनाथ सहित 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की है। कहा कि यहां पर लोग भक्ति भावना से आते है। अगर इसे पर्यटन स्थल घोषित कर दिया गया तो लोग यहां घूमने फिरने और मौज मस्ती करने के लिए आने लगेंगे। जबकि तीर्थ स्थल मौज मस्ती करने की जगह नही होती बल्कि पूजा और वंदन करने की जगह होती है।

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