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कबीर ज्ञान मंदिर में मां ज्ञान महायज्ञ का भव्य शुभारंभ 

कबीर ज्ञान मंदिर में मां ज्ञान महायज्ञ का भव्य शुभारंभ 

कबीर ज्ञान मंदिर में मां ज्ञान महायज्ञ का भव्य शुभारंभ 

गिरीडीह, मनोज कुमार।

 गिरीडीह: झारखंड प्रांत के गिरिडीह नगरी में अवस्थित श्री कबीर ज्ञान मंदिर के पावन प्रांगण में मां ज्ञान महायज्ञ का भव्य आयोजन किया गया है जिसका शुभारंभ आज गुरु पूजन महोत्सव एवं भव्य शोभायात्रा के साथ किया गया।

 

गुरु पूजन के पावन अवसर पर गिरिडीह के स्थानीय श्रद्धालु भाई बहनों के अतिरिक्त झारखंड, बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, एवं अन्य राज्यों से आए हुए हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं द्वारा गुरु पूजन के पावन अवसर पर अपने परम आराध्य सतगुरु मां ज्ञान के श्री चरणों में पूजन वंदन किया गया। गुरु पूजन के लिए श्रद्धालुओं का भीड़ उमड़ पड़ा लेकिन सुव्यवस्था के साथ गुरु पूजन का कार्यक्रम संपन्न हुआ।

 

मां ज्ञान महायज्ञ के पावन अवसर पर सुसज्जित शोभा यात्रा का आयोजन भी काफी सफलता पूर्वक पूर्ण हुआ। यह शोभायात्रा सरस्वती शिशु विद्या मंदिर के प्रांगण से शुरू होकर शहर के विभिन्न मार्गो से होते हुए श्री कबीर ज्ञान मंदिर के प्रांगण में विसर्जित हुई शोभायात्रा बहुत ही सुसज्जित झांकियों के समावेश किया गया। जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाई बहनों की संख्या सुनियोजित पंक्ति बद्ध तरीके से अनुशासन पूर्वक संचालित रही पूरा शहर सनातन धर्म की जय के जयघोष से गुंजायमान हो उठा। सत्य कबीर के श्वेत ध्वज एवं ओम रचित भगवा ध्वज से पूरा शहर शोभायमान हो उठा।

परम वंदनीय सद्गुरु माल मां ज्ञान के नेतृत्व में श्री कबीर ज्ञान मंदिर परिवार के विभिन्न सदस्यों के द्वारा स्वयंसेवकों के सहयोग से अनुशासन पूर्वक यातायात व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए शहर के विभिन्न मार्गो से शोभायात्रा गुजरी।

 

शोभा यात्रा जिस मार्ग से होकर गुजरी उधर देखने वालों का तांता लगा रहा सारा शहर आज सनातन धर्म के रंग में रंगा नजर आया।

 

प्रशासन द्वारा मां ज्ञान महायज्ञ की शोभायात्रा के संचालन में काफी सहयोग प्रदान किया गया विभिन्न चौक चौराहों पर सशस्त्र बलों के साथ दंडाधिकारी की नियुक्ति की गई। इस सहयोग के लिए मंदिर परिवार ने प्रशासन को काफी साधुवाद दिया।

 

द्वितीय सत्र के कार्यक्रम में सदगुरु कबीर साहब कृत भजनों पर भाव नृत्य की प्रस्तुति नन्हे-मुन्ने बच्चों द्वारा की गई। भजन संध्या के आयोजन से वातावरण भक्ति में हो गया इस अवसर पर सद्गुरु ज्ञान ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह बहुत ही दुर्लभ अवसर है जब हम गुरुद्वारे में गुरु पूजन में उपस्थित हुए हैं सतगुरु की महिमा क्या है यह वाणी का विषय नहीं है। भारत में जितने भी संत मनीषी हुए हैं उन्होंने गुरु की महिमा मुक्त कंठ से गुरु की महिमा गाई है। गुरु की भक्ति से शिष्य मालामाल हो जाता है। चाहे अलौकिक समस्या हो या पारलौकिक आध्यात्मिक हो या पारिवारिक निश्चल भक्ति करता है निश्चय भक्ति उसकी भक्ति चमत्कारिक फल देती है यही कारण है की वेद उद्घोष करते हैं– *गुरु भक्ति सदा कुर्यात।*

 

झांकियों के द्वारा दिया गया संदेश

 

शोभा यात्रा में आयोजित से सुसज्जित गुरु गोविंद धाम मंदिर का भव्य प्रारूप संचालित किया गया

दूसरी जाति में झांकी में हमारे संस्कृति के पोषक भगवान श्री राम द्वारा जात-पात से ऊपर उठकर के दिए गए आदर्श के प्रतीक को दर्शाया गया। उन्होंने निम्न कुल के निषाद शबरी और केवट से भी मित्रता निभाई। आज समाज में व्यक्ति व्यक्ति में राम के आदर्शों को अपनाने की आवश्यकता है इसका संदेश दिया गया।

 

एक झांकी में समस्त वेद ही सभी धर्मों का जनक है इसका संदेश देते हुए प्रदर्शन किया गया।

 

एक झांकी में श्री कबीर ज्ञान मंदिर द्वारा संचालित मां ज्ञान कौशलम को प्रदर्शित किया गया जहां से स्वावलंबन हेतु बहनों को निशुल्क शिक्षा दिया जा रहा है ताकि बहने अपने पैर पर खड़ा होकर के आदर्श स्थापित कर सकें।

 

एक झांकी में सदगुरु कबीर क्यों के सनातन रूप को प्रदर्शित किया गया आज शिक्षा जगत में भारत की संस्कृति और सनातन की संस्कृति के समावेश कितना आवश्यक है इसका प्रदर्शन किया गया।

 

सद्गुरु मैंने कहा क्या शोभायात्रा मेज इन झांकियों का समावेश किया गया है उसका बहुत ही गहरा महत्व है यह हमारे संस्कृत संस्कृति से जुड़ा हुआ है समाज में बैठे जाती पाती और ऊंच-नीच की वर्ण व्यवस्था को दूर कर मन में एक है का संदेश मानव मानव एक है का संदेश देने क्या देने का पुरजोर कोशिश किया गया है राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए जात पात के विभिन्न फंदे और पंथवाद के मकड़जाल से ऊपर उठकर सभी को एक सूत्र में बंधना अत्यावश्यक है। वही कई संस्थाओं के द्वारा जगह जगह पर स्टॉल लगाकर शीतल पेय जल का व्यवस्था किया गया था।

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