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एक बार फिर मंहगाई की मार

पेट्रोल की कीमत में 25 रूपए तक की बढ़ोत्तरी

संयुक्ता न्युज डेस्क

चुनाव का मेला खत्म होते ही जनता के सर पर महंगाई की गाज गिरने वाली है. बता दें कि पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद सभी चिजों के दामों में बढ़ोत्तरी करने का फैसला लिया जा रहा है. जिसमें सबसे ज्यादा पेट्रोल और डीजल के दाम आसमान छुने को पहुंच जाएगे. इसके अलावा खाने-पीने जैसे प्याज, लहसून, टमाटम आदि के दामों में भी इजाफा हो सकती है. लेकिन जनता को एक साथ इतना बड़ा झटका नहीं दिया जाएगा, धीरे-धीरे सभी चीजों के दाम बढ़ाए जाएंगे. चुनाव से पहले पेट्रोल-डीजल के दाम काफी हद तक घट गए थे. खासकर पांच चुनावी राज्यों में लोगों के मतदान के लिए उन्हें स्वर्ग तक के दर्शन करवाएं गए है. लोगों से बड़े-बड़े वादे किए गए है. मंहगाई, बेराजगारी, विकास, शिक्षा इत्यादि विषयों पर लंबे-लंबे भाषण दिए गए है. चुनावी रैलियों में करोड़ों रूपए पानी की तरह बहा दिए जाते है और सरकारी खजाने को खाली कर दिया जाता है. जिसका भुगतान देश के हर वर्ग की जनता को करना पड़ता है. 

जनता से किए बड़े-बड़े वादे

सरकारी खजाने से अंधाधुंध खर्च करने वाले नेता, मंत्रीगण जमकर जनता के पैसों को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं. जिसके बाद वो तो सरकारी खजाने पर पलते रहते हैं, लेकिन यह भुगतान जनता की कमर को तोड़कर रख देता है. जैसा कि हम सभी जानते हैं भारत में रोज कमाकर खाने वाले लोग भी रहते हैं. जिनकी रोज की आमदनी 150 रूपये से 200 रूपए तक होती है, जबकि कुछ जनता मासिक तौर पर 5 से 6 हजार में भी गुजारा करते हैं. लेकिन इन सब बातों पर सरकार कोई प्रतिक्रिया नहीं देती है और महंगाई दर बढ़ा देती है, जिससे उनके जीवन में बड़ा प्रभाव देखने को मिलता है. इतने कम आमदनी और मंहगाई से परेशान लोग कई बार गलत कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं. जोकि गलत कदम है लेकिन ऐसी अनहोनी के बाद इसका खामियाजा उनके बच्चे, परिवारवालों को झेलना पड़ता है.

अर्थव्यवस्था पर जंग का पड़ सकता है प्रभाव 

वहीं मंहगाई का खासा असर गाड़ी चलाने वालों पर ज्यादा देखने को मिलेगा. क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमत 110.88 डॉलर प्रति बैरल पहुंच चुका. साथ ही रूस और यूक्रेन के बीच जंग भी अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ेगा. सूत्रों के अनुसार भारत सरकार पेट्रोल और डीजल में 15 से 25 रूपए तक की बढ़ोत्तरी की जा सकती है. देशभर में गाड़ी चलाने वालों की संख्या करोड़ों में है. लोग बिना खाए एक दिन रह सकते हैं, लेकिन बिना गाड़ी के एक कदम भी नहीं चलना पसंद करते हैं. उनके लिए ये मंहगाई परेशान करने वाली होगी.

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