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आर्ष कन्या गुरुकुल में परंपरागत क्रीड़ा व कला-कौशल के 10 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का हुआ उद्घटान

आर्ष कन्या गुरुकुल में परंपरागत क्रीड़ा व कला-कौशल के 10 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का हुआ उद्घटान

आर्ष कन्या गुरुकुल में परंपरागत क्रीड़ा व कला-कौशल के 10 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का हुआ उद्घटान

सदर विधायक ने केसरिया ध्वज फहराकर और कला कौशल प्रदर्शन कर किया उद्घाटन

हजारीबाग: श्री रामनवमी को लेकर स्थानीय नवाबगंज रोड़ में आर्य समाज, हजारीबाग द्वारा संचालित आर्ष कन्या गुरुकुल में अध्ययन ब्रह्मचारी और ब्रह्मचारिणीयों के बीच परंपरागत क्रीड़ा व “कला-कौशल” के विशेष प्रशिक्षित करने हेतु विराट 10 दिवसीय अस्त्र- शस्त्र प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का उद्घाटन हजारीबाग सदर विधायक मनीष जायसवाल ने केसरिया ओम ध्वज फहराकर किया। इस 10 दिवसीय शिविर में यूपी से पहुंचे देश के जाने- माने प्रशिक्षक सह राष्ट्रिय आर्य वीर दल के प्रमुख आचार्य धर्मवीर त्यागी, कुरुक्षेत्र से ब्रह्मचारिणी रजनी आर्या और ब्रह्मचारिणी समीक्षा आर्या के द्वारा

बच्चों को परंपरागत क्रीड़ा संबंधित गुर सिखाए जायेंगे। इस शिविर में सभी को लाठी, तलवा भाला, डंबल, लेजियम, कराटे आदि का उत्तम विधि से प्रशिक्षित किया जाएगा। गुरुकुल के निदेशक आचार्य कोटिल ने आवाहन किया कि हजारीबाग शहर के जितने भी कलम है उनके युवक पीस शिविर में भाग लेकर प्रशिक्षण ले सकते हैं। शिविर की शुरुआत में विधायक मनीष जायसवाल और समाजसेवी श्रद्धानंद सिंह ने गुरुकुल के बच्चों संग कला- कौशल का हैरतअंगेज प्रदर्शन पर हाथ आजमा कर किया। इससे पूर्व गुरुकुल के बच्चों के द्वारा सभी आगंतुक अतिथियों का तिलक चंदन लगाकर, अंग- वस्त्र भेंटकर और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ स्वागत गीत गाकर भारतीय संस्कृति के अनुरूप स्वागत किया गया। प्रशिक्षण में शामिल बच्चे गेरवा और पीले वस्त्र में पारंपरिक हथियार के साथ बड़े ही अनुशासित होकर सम्मिलित हुए। मैदान में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम, योगेश्वर श्री कृष्ण, महात्मा चाणक्य, वीर सावरकर, पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी, पंडित रामचंद्र देहलवी, लाला लाजपत राय, साक्षी पंडित लेखराम,तपस्विनी माता जीजाबाई, वीरांगना लक्ष्मीबाई जैसे विभूतियों और आदर्शों की तस्वीर उन्हें प्रेरित कर रही थी।

शिविर के उद्घाटन के अवसर पर बच्चों को संबोधित करते हुए विधायक मनीष जायसवाल ने कहा कि जब भी गुरुकुल आता हूं मन बड़ा प्रसन्न चित्त हो जाता है। भारत की पौराणिक संस्कृति और सभ्यता को संजोय गुरुकुल बच्चों को शिक्षित और संस्कारित करती है। उन्होंने कहा कि गुरुकुल के बच्चों को हमने वैदिक पाठ और कला- कौशल का बेहतर प्रदर्शन करते देखा है। उन्होंने कहा कि अपने धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए शास्त्र के साथ शस्त्र कला में निपुण होना भी अत्यंत जरूरी है। उन्होंने कहा कि हजारीबाग की रामनवमी में पारंपारिक अस्त्र-शस्त्र परिचालन की परंपरा रही है। ऐसे आयोजन से निश्चित रूप से हजारीबाग की पारंपरिक रामनवमी की तरह हैरतअंगेज कला कौशल रामनवमी जुलूस के दौरान सड़कों पर दिखेगा। उन्होंने इस शिविर के लिए गुरुकुल के निदेशक आचार्य कोटिल को धन्यवाद दिया। संघ के विभाग प्रमुख आशुतोष जी ने अपने संबोधन में कहा कि शस्त्र और शास्त्र दोनों का जानकारी रखना बेहद जरूरी है। इस देश में अचानक जैसे गुरु हुए और जब सिकंदर जैसे आक्रांता भारत में आक्रमण किए तब चंद्रगुप्त जैसे व्यक्ति को सम्राट बनाया गया जो शस्त्र और शास्त्र दोनों के बल पर संभव हो पाया। उन्होंने कहा कि जब पांडव वनवास पर गए तब शस्त्र लेकर गए और जब भगवान राम वन यात्रा में निकले तब भी तीर धनुष साथ लेकर गए। जब तक आपके साथ शास्त्र है तब तक आपकी धर्म, संस्कृति, परिवार सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि जब-जब शास्त्र की अवहेलना हुई है तब- तब बाहरी आक्रांता ओं ने हमारी संस्कृति को पथभ्रष्ट किया है। गुरुकुल के माध्यम से भारत की प्राचीन संस्कृति और सभ्यता को जीवंत करने का जो पहल किया जा रहा है वह बेहद ही सकारात्मक है। समाजसेवी श्रद्धानंद सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि देश की परंपरा में शिक्षा का अलग गुरुकुल ने जगाया है। उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी को संस्कारवान और चरित्रवान करने में गुरुकुल मिल का अहम योगदान है ।

उद्घाटन समारोह में विशेष रुप से युवा समाजसेवी लखन खंडेलवाल, युवा व्यवसाई राज वर्मा, रामनवमी महासमिति के पूर्व अध्यक्ष पिकू यादव, चंदन मेहता, पत्रकार अरविंद राणा, सचिन खंडेलवाल, मनमीत अकेला, गुरुकुल की प्राचार्या पुष्पा शास्त्री, गणेश शास्त्री, पंकज कुमार, श्वेता गुप्ता सहित स्कूल की सभी अध्यापिकाएं मौजूद रहीं।

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