आईलेक्स में मनाया गया हूल दिवस, वीर आदिवासियों की शहादत को किया गया नमन
मंजिल के लिए दृढ़ संकल्पित हों तो सीमित साधनों से भी सफलता पाई जा सकती है : आईलेक्स
आईलेक्स में मनाया गया हूल दिवस, वीर आदिवासियों की शहादत को किया गया नमन
मंजिल के लिए दृढ़ संकल्पित हों तो सीमित साधनों से भी सफलता पाई जा सकती है : आईलेक्स
बरही संवाददाता : शोएब अख्तर
हजारीबाग/बरही : विद्यार्थी जीवन के लिए हुल दिवस से अच्छा और क्या प्रेरणास्रोत हो सकता है। जहाँ अंग्रेजों के पास गोले – बारूद थे वहाँ दूसरी ओर केवल
आदिवासीयों के पास महज़ तीर – धनुष। लेकिन फिर भी उन्होंने इतिहास के पन्नों पर अपनी अमिट छाप छोड़ दी। आईलेक्स में भी 30 जून को हुल दिवस मनाया गया । सामाजिक विज्ञान के शिक्षक बबलू कुमार, रिंकू कुमार और रवि सिंह ने अपने अपने क्लास और ब्रांच के अनुसार बच्चों को हुल दिवस की जानकारी दी। आज हूल क्रांति दिवस के अवसर पर उन वीर आदिवासियों की शहादत को नमन किया जा रहा है जिन्होंने महज तीर-धनुष से अंग्रेजों के गोले-बारूदों का सामना किया था। यह 1857 की क्रांति से भी पहले किया गया विद्रोह था जिसने अंग्रेजी शासन की नींव हिलाकर रख दी थी। इस विद्रोह का मूल कारण आदिवासियों से 50 से 500 प्रतिशत तक खेती-कर वसूलना था। 30 जून 1855 को आदिवासी भाइयों सिद्धो-कान्हो और चांद-भैरव के नेतृत्व में मौजूदा साहिबगंज के भोगनाडीह में लगभग 50 हजार आदिवासियों ने अंग्रेजी शासन के अधीन महाजनी प्रथा व बंदोबस्ती नीति के खिलाफ जंग का ऐलान किया था। आमतौर पर 1857 की क्रांति को ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ पहला विद्रोह माना जाता है, लेकिन इससे पहले भी 1855 को संथाल विद्रोह ने अंग्रेजी शासन की नींव हिलाकर रख दी थी। इस विद्रोह का मूल कारण आदिवासियों से 50 से 500 प्रतिशत तक खेती-कर वसूलना था। अंग्रेजों के इस शोषण के खिलाफ आदिवासियों ने एकजुट होकर आवाज उठाई और तय कर लिया खुद को स्वतंत्र घोषित करेंगे और भू-राजस्व नहीं देंगे। इसकी प्रतिक्रिया में अंग्रेजी सरकार की तरफ से आए स्थानीय जमींदार, पूंजीपतियों, सूदखोरों को मौत के घाट उतार दिया गया। उन्होंने अपना नारा “जुमीदार, महाजन, पुलिस राजदेन आमला को गुजुकमाड़” यानी कि जमींदार, महाजन, पुलिस और सरकारी अमलों का नाश हो, बुलंद किया।
विद्यालय के निदेशक शैलेश कुमार ने भी बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि अगर आप अपना लक्ष्य निर्धारित कर उसे प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित होते हो तो सीमित साधनों में भी सफलता पाई जा सकती है। हमें इतिहास की घटनाओ से निरंतर सिखने का प्रयास करना चाहिए।