अपने विभिन्न मांगों को लेकर तीसरे दिन भी अधिवक्ता न्यायिक कार्य से अपने को दूर रखा ।
अपने विभिन्न मांगों को लेकर तीसरे दिन भी अधिवक्ता न्यायिक कार्य से अपने को दूर रखा ।
अपने विभिन्न मांगों को लेकर तीसरे दिन भी अधिवक्ता न्यायिक कार्य से अपने को दूर रखा ।
गिरिडीह, मनोज कुमार।
गिरिडीह : स्टेट बार काउंसिल के द्वारा आयोजित बैठक में लिए गए निर्णय के बाद सोमवार को लगातार तीसरे दिन भी गिरिडीह के अधिवक्ता न्यायिक कार्यो से अपने को दूर रखा। मालूम हो कि बढ़ी हुई कोर्ट फीस की वापसी समेत अन्य मांगों को लेकर शुक्रवार से ही अधिवक्ता अपने को न्यायिक कार्यों से दूर रखकर सरकार द्वारा बढ़ाए गए कोर्ट फीस वापस करने की मांग कर रही है। रविवार को स्टेट बार कौंसिल ने राज्य भर के सभी जिला और अनुमंडल इकाई के अध्यक्ष और महासचिव को इस बैठक में आमंत्रित किया था। ताकि आगे की रणनीति तय की जा सके। जिसके बाद बैठक में यह बात उभरकर सामने आई की राज्य के महाधिवक्ता ने मुख्यमंत्री को गुमराह किया और स्टेट बार कौंसिल को बगैर विश्वास में लिए अपने तरफ से अखबार में कुछ घोषणा करा दी। बैठक में यह तय हुआ कि सरकार अगर चाहती है कि अधिवक्ता अपने काम पर लौट जाएं तो मुख्यमंत्री ने अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए जिन चीजों की घोषणा की उसकी जानकारी अधिवक्ताओं को संघ के माध्यम से दी जाए। लिहाजा संघ ने सरकार को अगले 2 दिनों का और वक्त दिया है कि वे इस संदर्भ में संघ के साथ वार्ता कर वस्तुस्थिति स्पष्ट करें।
इस बाबत जिला बार एसोसिएशन के सचिव चुनाव कांत ने कहा कि हम सभी अधिवक्ता आज भी न्यायिक कार्य से अलग हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जो भी प्रयास किए गए उसका स्वागत है लेकिन सरकार का तरीका गलत है। उन्होंने कहा कि बढ़ाए गए कोर्ट फीस की वापसी को लेकर सरकार को 2 दिनों का अल्टीमेटम दिया गया है। मौके पर अधिवक्ता बब्बन खान, सच्चिदानंद प्रसाद, सरवन मंडल, भुनेश्वर महथा, शशांक शेखर ,संदीप गुप्ता,सहित कई अधिवक्ता मौजूद थे।