हजारीबाग सदर विधानसभा के लिए टिकट की आश बनी गले की फाँस…..
टिकट की दौड़ में नेताओं की चल रही जोर अजमाईश
हजारीबाग सदर विधानसभा के लिए टिकट की आश बनी गले की फाँस…..
टिकट की दौड़ में नेताओं की चल रही जोर अजमाईश
उप संपादक : कुणाल यादव
हजारीबाग: सदर विधानसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच टिकट के लिए ताबड़तोड़ दावेदारी की चर्चा तेज होती जा रही है। पूर्व विधायक के सांसद बनने के बाद से यह सीट खाली हो गई है, जिससे राजनीतिक हलचल बढ़ गई है।भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के नेता टिकट पाने के लिए रांची से लेकर दिल्ली तक दौड़ने में जुटे हैं। कई नये और पुराने नेता अपनी सक्रियता दिखा रहे हैं, ताकि उन्हें पार्टी से टिकट मिलने की संभावना बढ़ सके।भाजपा में जिन नेताओं ने टिकट की उम्मीदवारी जताई है, उनमें कई नये चेहरे शामिल हैं। ये नेता अपने-अपने क्षेत्र में जनता के बीच अपनी पहचान बनाने में जुट गए हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हम यह चाहते हैं कि हमारी पार्टी को ऐसे उम्मीदवार मिले, जो स्थानीय मुद्दों को अच्छी तरह समझते हों।
”भाजपा के संभावित उम्मीदवारों में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और सामाजिक कार्यों में सक्रियता दिखाने वाले नेता शामिल हैं। उनका मानना है कि समय की मांग है कि लोग ऐसे नेताओं को चुनें जो क्षेत्र के विकास के लिए समर्पित हों। वैसे तो भाजपा के लिए हजारीबाग सदर विधानसभा सेफ सीट मानी जाती रही है लेकिन जिस तरह से भाजपा के रायशुमारी कार्यक्रम मे प्रदेश के नेताओं के सामने यहाँ की गुटबाजी खुलकर सामने आई है ये भाजपा के लिए यहाँ शुभ संकेत दिखाई नही पड़ रही है। यदि भाजपा जमीनी स्तर के नेता को छोड़कर नये नवेले नेता पर दाँव लगाती है तो यहाँ जीत की राह कठिन हो सकती है। वहीं, कांग्रेस में भी टिकट के लिए संघर्ष जारी है। कांग्रेस से कुल 34 नेताओं ने टिकट के लिए दावेदारी की है। पार्टी के कई कार्यकर्ता एवं नेता स्थानीय जनसमर्थन जुटाने में लगे हुए हैं। कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने बताया, “हम चाहते हैं कि हमारी पार्टी को ऐसे उम्मीदवार मिले, जो क्षेत्र की जनता के साथ जुड़े रहें और उनकी आवाज़ को सही तरीके से उठाएं।”कांग्रेस में टिकट की दावेदारी कर रहे नेताओं का जोर युवा मतदाताओं के बीच अपनी पहुंच बढ़ाने पर है। कई नेता सोशल मीडिया प्लेटफार्म का सहारा लेकर अपनी विचारधारा और योजनाएं लोगों के सामने रख रहे हैं। भाजपा के गढ़ माने जाने वाले इस सीट मे सौरभ नारायण सिंह ने लगातार दो बार विधानसभा का चुनाव जीतकर यह दर्शा दिया था की सही प्रत्याशी के साथ और पार्टी की एकजुटता के साथ यदि चुनाव लड़ा जाय तो इस सीट पर जीत संभव है। ऐसे मे कांग्रेस के पास भी यह चुनौती है की वो पार्टी को एकजुट रखते हुए सही प्रत्याशी का चुनाव कर विधानसभा का चुनाव लड़े ताकि जीत हासिल हो। हजारीबाग मे चुनावी माहौल गरमाने के साथ ही, लोग यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि उनके लिए कौन सा नेता सही रहेगा। स्थानीय मुद्दों पर जागरूकता ने इन नेताओं की भूमिका को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है।
साथ ही, स्थानीय निवासियों की मांगें भी धीरे-धीरे तेजी से बढ़ रही हैं। लोग चाहते हैं कि उनकी समस्याओं का समाधान हो और विकास के कार्य शीघ्रता से संपन्न किए जाएं। ऐसे में, राजनीतिक आकांक्षी नेताओं के लिए यह अवसर है कि वे जनता के बीच अपनी छवि और समर्थन को मजबूत करें।आने वाले चुनावों में कौन सी पार्टी किस चेहरे को टिकट देती है और अंततः जनता की राय किस दिशा में जाती है, इसे देखना दिलचस्प होगा।