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कौन हैं सांसद, विधायक नहीं पहचानते हैं ज्वार पहाड़पुर के लोग .

गांव जाने के लिए पथ नहीं, दुर्गम रास्ते पहाड़ी और बड़े-बड़े चट्टान को पार करते हैं लोग --- - बीमार पड़ने पर खटोली से सूर्यकुंड तक लाते हैं लोग ---- संवाददाता बरकट्ठा :- प्रखंड के गोरहर पंचायत के अंतर्गत ज्वार, पहाड़पुर गांव के लोग सांसद और विधायक को चेहरे से नहीं पहचानते हैं। वहीं लोग विधायक का नाम तो जानते हैं लेकिन सांसद कौन है। इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। ग्रामीणों के मुताबिक सांसद, विधायक गांव में कभी नहीं पहुंचे हैं। गांव की स्थिति काफी दयनीय है। जवार, पहाड़पुर, जरुआडीह और कुसन गांव में लगभग तीन सौ संथाल आदिवासी परिवार रहते हैं। गांव के लोंगो का जीविकोपार्जन मजदूरी और कृषि कार्य है। आदिवासी परिवारों की आर्थिक स्थिति दयनीय है। लोग दिहाड़ी मजदूरी पर आश्रित हैं। काम की तलाश में युवा दूसरे राज्य पलायन करते हैं। लेकिन एक वर्ष से लोग कोरोना काल और लॉकडाउन के वजह से आसपास के गांव में मजदूरी ढूंढते हैं। ग्रामीणों के मुताबिक तीनों गांव में करीब 80 लोंगो को पीएम आवास मिला है। मनरेगा के तहत चार डोभा निर्माण की स्वीकृति मिली। जिसमें दो डोभा बन चुका है और दो का कार्य प्रगति पर है।पेयजल की बड़ी संकट है। चार चापाकल लगाया गया है। इसमें एक चापाकल खराब और एक ड्राई हो चुका है। पहाड़पुर में वर्षों पूर्व एक कुआं बना है। अधिकांश लोग कुएं का पानी पेयजल के लिए इस्तेमाल करते हैं। दर्जनों लोग वृद्धा पेंसन से वंचित हैं। जबकि चार दर्जन से अधिक लोग पेंसन की आस में हैं। मणिलाल सोरेन के अनुसार यहां के लोग राशन उठाने के लिए बहुत दूर जन वितरण प्रणाली दुकान सूर्यकुंड और गोरहर जाते हैं। लेकिन अनाज लेकर आने में पहाड़ पर चढ़ने और दुर्गम रास्तों से गुजरना पड़ता है। जवार, पहाड़पुर में स्कूल की सुविधा है। पहाड़पुर उमवि दो सौ और ज्वार उप्रावि में 60 छात्र नामांकित हैं। लोग बिजली की अनियमित आपूर्ति से परेशान रहते हैं। जवार, पहाड़पुर को जीटी रोड से होलांग स्टेट हाईवे सौ से जोड़ने के लिए पीएमजीएसवाइ के तहत पांच वर्ष पूर्व स्वीकृति हुई और उसमें कुछ हद तक कार्य भी हुआ। लेकिन निर्माण कार्य बंद होने के बाद से वह अधर में लटका हुआ है। लोंगो को दुर्गम रास्तों को तय कर प्रखंड मुख्यालय आना होता है। स्वास्थ्य सुविधाओं से लोग मरहूम हैं। सड़क के अभाव में बीमार होने पर रोगी को लोग खटोली पर करीब पांच किलोमीटर दूरी तय कर सूर्यकुंडधाम तक लाते हैं। कोरोना वैक्सीन लोगों को नहीं मिला है। लोग लेने को इच्छुक भी हैं। ग्रामीणों के अनुसार एकबार लोग वैक्सीन लेने गोरहर गए। लेकिन लोग बैरंग वापस हो गए। ग्रामीणों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के लोग यहां पर पहुंचने से कतराते हैं। लोगों ने बताया कि प्रशासनिक पदाधिकारी गांव में समस्याओं के निदान के लिए नहीं आते हैं। ------- फोटो :- पहाड़पुर में महिलाएं कुआं से पानी लेते हुए। --------

 

कौन हैं सांसद, विधायक नहीं पहचानते हैं ज्वार पहाड़पुर के लोग —

– गांव जाने के लिए पथ नहीं, दुर्गम रास्ते पहाड़ी और बड़े-बड़े चट्टान को पार करते हैं लोग , बीमार पड़ने पर खटोली से सूर्यकुंड तक लाते हैं लोग —-

संवाददाता : ईश्वर यादव

बरकट्ठा :- प्रखंड के गोरहर पंचायत के अंतर्गत ज्वार, पहाड़पुर गांव के लोग सांसद और विधायक को चेहरे से नहीं पहचानते हैं। वहीं लोग विधायक का नाम तो जानते हैं लेकिन सांसद कौन है। इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। ग्रामीणों के मुताबिक सांसद, विधायक गांव में कभी नहीं पहुंचे हैं। गांव की स्थिति काफी दयनीय है। जवार, पहाड़पुर, जरुआडीह और कुसन गांव में लगभग तीन सौ संथाल आदिवासी परिवार रहते हैं।
गांव के लोंगो का जीविकोपार्जन मजदूरी और कृषि कार्य है। आदिवासी परिवारों की आर्थिक स्थिति दयनीय है। लोग दिहाड़ी मजदूरी पर आश्रित हैं। काम की तलाश में युवा दूसरे राज्य पलायन करते हैं। लेकिन एक वर्ष से लोग कोरोना काल और लॉकडाउन के वजह से आसपास के गांव में मजदूरी ढूंढते हैं। ग्रामीणों के मुताबिक तीनों गांव में करीब 80 लोंगो को पीएम आवास मिला है। मनरेगा के तहत चार डोभा निर्माण की स्वीकृति मिली। जिसमें दो डोभा बन चुका है और दो का कार्य प्रगति पर है।पेयजल की बड़ी संकट है। चार चापाकल लगाया गया है। इसमें एक चापाकल खराब और एक ड्राई हो चुका है। पहाड़पुर में वर्षों पूर्व एक कुआं बना है। अधिकांश लोग कुएं का पानी पेयजल के लिए इस्तेमाल करते हैं।
दर्जनों लोग वृद्धा पेंसन से वंचित हैं। जबकि चार दर्जन से अधिक लोग पेंसन की आस में हैं। मणिलाल सोरेन के अनुसार यहां के लोग राशन उठाने के लिए बहुत दूर जन वितरण प्रणाली दुकान सूर्यकुंड और गोरहर जाते हैं। लेकिन अनाज लेकर आने में पहाड़ पर चढ़ने और दुर्गम रास्तों से गुजरना पड़ता है।
जवार, पहाड़पुर में स्कूल की सुविधा है। पहाड़पुर उमवि दो सौ और ज्वार उप्रावि में 60 छात्र नामांकित हैं। लोग बिजली की अनियमित आपूर्ति से परेशान रहते हैं। जवार, पहाड़पुर को जीटी रोड से होलांग स्टेट हाईवे सौ से जोड़ने के लिए पीएमजीएसवाइ के तहत पांच वर्ष पूर्व स्वीकृति हुई और उसमें कुछ हद तक कार्य भी हुआ। लेकिन निर्माण कार्य बंद होने के बाद से वह अधर में लटका हुआ है। लोंगो को दुर्गम रास्तों को तय कर प्रखंड मुख्यालय आना होता है। स्वास्थ्य सुविधाओं से लोग मरहूम हैं। सड़क के अभाव में बीमार होने पर रोगी को लोग खटोली पर करीब पांच किलोमीटर दूरी तय कर सूर्यकुंडधाम तक लाते हैं।
कोरोना वैक्सीन लोगों को नहीं मिला है। लोग लेने को इच्छुक भी हैं। ग्रामीणों के अनुसार एकबार लोग वैक्सीन लेने गोरहर गए। लेकिन लोग बैरंग वापस हो गए। ग्रामीणों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के लोग यहां पर पहुंचने से कतराते हैं। लोगों ने बताया कि प्रशासनिक पदाधिकारी गांव में समस्याओं के निदान के लिए नहीं आते हैं।

पहाड़पुर में महिलाएं कुआं से पानी लेते हुए।

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