अब कोरोना के शिकार बन रहे बच्चे ,
कोरोना महामारी की तीसरी लहर बच्चों-किशोरों को बना रही शिकार
कोरोना महामारी की तीसरी लहर बच्चों-किशोरों पर भी खूब कहर बरपा रही है। जिला में एक वर्ष से सत्रह साल आयु के 442 बच्चे-किशोर 14 जनवरी की शाम तक संक्रमित मिल चुके हैं। सबसे बड़ा खतरा यह कि संक्रमितों में 100 से अधिक की आयु 13 साल से भी कम है।पानीपत में कोरोना संक्रमितों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। शुक्रवार को 281 लोग कोरोना पाजिटिव मिले हैं, जबकि वीरवार को 236 पाजिटिव मिले थे। इसी स्पीड से बच्चों में कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के जिला नोडल अधिकारी डा. ललित वर्मा ने इसका कारण अभिभावकों की लापरवाही बताया। उन्होंने कहा कि व्यस्क, खासकर कामकाजी लोग कोविड-19 की गाइडलाइन का ठीक से पालन नहीं कर रहे हैं। घर से बाहर न तो मास्क ठीक से पहनते हैं और न दो गज की शारीरिक दूरी बना पाते हैं। नतीजा, वे कोरोना संक्रमण लेकर घर लौटते हैं। बच्चे उनके संपर्क में आने से संक्रमित हो जाते हैं।
बुजुर्गों की तरह बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। नतीजा, वे जल्द चारपाई पकड़ लेते हैं। बच्चों-किशोरों को महामारी से बचाना है तो अभिभावकों को पहले खुद का बचाव करना होगा। 15 प्लस आयु के किशोर को कोराेना रोधी टीका जरूर लगवाएं।
बिल्कुल न करें ये काम
घर से बाहर रहने वाले लोग कोविड नियमों का पालन करें।
बच्चों-किशोरों को भीड़भाड़ वाले स्थान पर न लेकर जाएं।
घर पहुंचने पर बच्चों को तुरंत गोद में न लें।
घर पहुंचकर पहले हाथ-मुंह धोएं, कपड़े बदलें।
लाड-प्यार में बच्चों को अपना झूठा न खिलाएं।
इन तरीको से कर सकते हैं बचाव
बच्चा पांच साल या इससे अधिक आयु का है तो घर से बाहर मास्क पहनाएं।
बच्चा छोटा है तो गोद में लेते समय उसका चेहरा कपड़े से ढकें।
मां, बच्चे को दूध पिलाने से पहले अपने हाथों को धो लें
बच्चों को गोद में लेते समय चेहरे से चेहरा न सटाएं।
कोरोना के हल्के लक्षण : बुखार-खांसी-जुकाम और गले में खरास होने पर बच्चे-किशोर को होम आइसोलेट कर दें।
पर्याप्त ताजा-गर्म भोजन और गुनगुने पानी का सेवन और गरारे करें। डाक्टर की सलाह पर पैरासिटामोल 10एमजी की गोली दिन में दो बार खिलाएं।
कोरोना के मध्यम लक्षण : तेज श्वास लेना, आक्सीजन लेवल 90 से 94 फीसदी होना। ऐसे में बेहतर होगा कि मरीज को तुरंत चिकित्सक को दिखाएं।
कोरोना के गंभीर लक्षण : श्वास लेने में कठिनाई होना। चेहरा नीला पड़ना और छाती में दर्द। पहली बात तो यह कि ऐसी नौबत आनी ही नहीं चाहिए। लापरवाही के चलते ऐसे हालात बन गए हैं तो तुरंत अस्पताल में भर्ती कराएं।