अगर ठान लिया तो करके छोडूंगा, क्यों ना मैं बच्चा ही हूं पर करूंगा जरूर ,सोचा था कुछ और करने के लिए पर आज जरूरत है हमें इसे दान करना, मैं बच्चा ही क्यों ना हूं मेरा सोच पूरे देश के लिए है।
- खबर 24 न्यूज़ – संवाददाता
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झारखंड : आज संकट की घड़ी में यह बालक संवेदनशील है जी मैं बात कर रहा हूं एक वॉइस से बालक की भले ही बच्चा ही क्यों ना हो पर इसका सोच बड़ों से भी ज्यादा है ,जी हां रांची के एक निजी विद्यालय में दूसरी कक्षा का छात्र त्रिविक्रम काया सोच जो आज बयां कर रहा है यह काबिले तारीफ है। इस बच्चा का पिता डॉ उज्जवल राय एवं माता डॉक्टर हर्षिता वैभव के पुत्र त्रिविक्रम के मासूम जज्बे को देखकर हर कोई भी दंग रह जाएंगे ,दरसल इस मासूम ने तीन गुल्लक अपने पास रखे थे जिसमें से एक को अपने प्रधानमंत्री रिलीफ फंड के लिए दान दिया ,दूसरे गुल्लक को उसने रामकृष्ण आश्रम को दान दिया और तीसरे गुल्लक को पुलिसकर्मियों और अस्पतालों में मास्क और सैनिटाइजर के लिए दान दिया है । रकम भले ही छोटी हो लेकिन इस मासूम की सोच बहुत बड़ी है इस बच्चा का कहना है कि यह तीन गुल्लक मैंने अपने भाई बहनों के लिए रखा था पर आज हमें जरूरत है ,इस महामारी कोरोनावायरस से लड़ने के लिए और हमारा देश कोरोनावायरस महामारी से गुजर रहा है और मैं अगर इस गुल्लक को दान ना दूं तो फिर कब दूंगा अगर हमारे देश में लोग सही रहेंगे तो ऐसे गुल्लक कितने सारे और मैं व्यवस्था कर लूंगा सच ही बात है अगर देश सुरक्षित है तो सब लोग सुरक्षित हैं यह तीन गुल्लक नहीं डबल भी हो सकता है लेकिन इस बच्चा का भले ही रकम छोटी हो लेकिन सोच तो बड़ी है ऐसे लोगों की आगे आने की जरूरत और सहयोग करने का भी आवश्यकता है ।