चलकुशा अंचल के पंजी 2 में खुब हो रही है हेराफेरी का खेल
भय मुक्त होकर वन भूमि का किया गया खेला।
चलकुशा अंचल के पंजी 2 में खुब हो रही है हेराफेरी का खेल
भय मुक्त होकर वन भूमि का किया गया खेला।
इस मामले में उपायुक्त से कानूनी कार्रवाई करने कि लगाईं गुहार
आखिर इस मामले में डीएफओ क्यों है मौन
चलकुशा : अंचल कार्यालय में इस वक्त अजिबो गरीब मामला प्रकाश में आया है बताते चलें कि उस समय के तत्कालीन चलकुशा सीओ शशिकांत सिंकर के द्वारा तैयार किए गए। दिनांक 29 दिसंबर 2023 को पत्रांक संख्या 246 में ठाकुर मियां चौबे निवासी के नाम पर खाता 56 प्लॉट संख्या 4555 में 26 डी० प्लॉट संख्या 4556 में 74 डी० वन भूमि की खरीद बिक्री के लिए एल पी सी बना कर रैयती बताया गया है। वहीं अंचल कार्यालय के पंजी 2 के भौलुम नम्बर 01 पेज नंबर 77 पर ठाकुर मियां के नाम पर दर्ज है।जिसका रशीद संख्या 7131006 वर्ष 2011-12 तक निर्गत है।वन भूमि का खुलासा तब हुआ कि ठाकुर मियां के वंशज सकिना खातुन पति स्व गुलाव हुसैन के द्वारा खरीद बिक्री के लिए देवंती देवी पति स्व जागेश्वर नायक, बडकु देवी पति कामेश्वर नायक, लक्ष्मी देवी पति भुनेश्वर नायक के पास 7 लाख 75000 रूपए में जमीन बिक्री के लिए अवर निबंधक कार्यालय बरही पहुंचे। अवर निबंधक कार्यालय में उपरोक्त दोनों प्लॉट की जमीन वन भूमि की सुची में दर्ज पाया गया। जिसके बाद अवर निबंधक अधिकारी बरही के द्वारा दिनांक 8 जनवरी 2024 को पत्रांक संख्या 16 के द्वारा पश्चिम वन प्रमंडल पदाधिकारी हजारीबाग को पत्र लिखकर स्पष्ट करने को कहा कि चलकुशा सीओ के पत्रांक संख्या 246 में उपरोक्त दोनों प्लॉट रैयती बतलाया गया है।
क्या यह दोनों प्लाॅट वन सीमा के अंदर है या बाहर। जिसके बाद वन विभाग के द्वारा वन भूमि होने कि पुष्टि की गई। जिसके बाद जमीन की खरीद बिक्री पर रोक लगा दी गई। लेकिन अब सवाल यह उठता है कि जमीन खरीद बिक्री के लिए 8 जनवरी 2024 को दस बज कर 46 मिनट पर बडकु देवी के द्वारा 31 हजार रुपए का अष्टम ड्यूटी ऑनलाइन भी निकाल ली गई थी।और अवर निबंधक कार्यालय में 23 हजार 914 का रशीद कटा चुकी है जो सरकारी खजाने में जा चुका है। जिसकी भरपाई कौन करेगा। वहीं 19 जुलाई 2024 को बडकु देवी चौबे निवासी ने उपायुक्त नैंसी सहाय से कानूनी कार्रवाई करने की गुहार लगाई है और कहा कि सीओ के द्वारा भुमि किस किस्म की है जिसकी जानकारी सही सही नहीं दी गई जिसके वजह से 31 हजार और 26 हजार 914 रुपए मेरा फंस गया है। मजबुरन मुझे न्यालय का दरवाजा खटखटाना होगा। प्रखंड में जांच होने पर इस तरह का कई मामला उजागर हो सकता है। चौबे मामले में वन विभाग भी आठ महीने बित जाने पर वन विभाग के द्वारा ना तो सीओ पर किसी तरह कि कारवाई की है ना जमीन बिक्री करने वाले पर कार्रवाई की गई है।